गोरखपुर में टेराकोटा के हाथ से बने दीया और छोटी-मोटी शिल्प कला तैयार की जाती है. लेकिन यह बीते समय में इतना प्रसिद्ध हुआ कि विश्व में इसकी अलग पहचान बन गए गई है. यहां पर बनने वाले शिल्प को देश-विदेश के लोग खरीदते हैं. कई प्रदर्शनी में टेराकोटा के प्रोडक्ट लगाए जाते हैं. ODOP में टेराकोटा शामिल है और इसकी मिट्टी से बनने वाले शिल्प इतने चमकीले और आकर्षित होते हैं कि, देखने में ये बेहद खूबसूरत लगते हैं. वहीं इस बार देव दीपावली पर काशी टेराकोटा के दीया से जगमग होगी.
बनारस में देव दीपावली की अलग ही रौनक होती है. काशी में हर कोई देव दीपावली पर दिया जलता है. तो वही मुख्यमंत्री भी इस दिन मौजूद होते हैं. वही इस बार देव दीपावली पर काशी में टेराकोटा के 5 लाख दिए जगमगाते दिखेगे. हाथों से बनाए गए यह दिए बेहद सुंदर और खूबसूरत होते हैं. दीप जलने के बाद इनकी खूबसूरती और बढ़ जाती है. दिया बनाने वाले कलाकार पन्ने लाल प्रजापति बताते हैं कि, दिया के साथ वो और भी कई शिल्प बनाते हैं जो बेहद आकर्षित और खूबसूरत होता है. टेराकोटा की मिट्टी सबसे खास होती है जो इसे खूबसूरती प्रदान करती है. इस बार बनारस में भी टेराकोटा के 5 लाख दिए. जगमगाते दिखेंगे. इस बार देव दीपावली पर काशी में टेराकोटा के दिए के साथ, गोरखपुर के महिलाओं के हाथों से बने गोबर के हवन कप भी जलाए जाएंगे. यह हवन कप दो से 3 हजार के क्वांटिटी में काशी भेजे गए हैं. यह हवन कप घाटों पर जगमगाते दिखेंगे. यह महिलाएं सिद्धिविनायक ट्रेडर्स के साथ काम करती जिनके जरिए यह सारी चीज तैयार होती है. सिद्धिविनायक ट्रेडर्स की मालिक संगीता पांडे ने बताया कि, यह हवन कप बेहद शुद्ध और साधारण है. जिसे जलाने के बाद गंदगी नहीं होती और गंगा में प्रभावित किया जा सकता है.