- फिर दहेज में मांगा 5 लाख रुपए नगद व बुलट
जौनपुर धारा, सिकरारा। दहेज लेना और देना दोनों कानूनंन अपराध है इसे रोकने के लिए कानून भी बनाया गया है लेकिन कानून का पालन करने वाला कोई नहीं है। इसलिए आज भी कितनी बहू बेटियां दहेज के लिए मौत की घाट उतार दी जा रही है। आज के परिवेश में दहेज लेना और देना कानूनी अपराध नहीं बल्कि एक शौक बनता जा रहा है। अधिक से अधिक दहेज लेना और देना लोगों के सम्मान के साथ जुड़ चुका है। लेकिन परेशानी और मुसीबत का सामना ऐसे गरीब परिवारों को झेलना पड़ता है। जिनकी बिटिया सयानी हो जाती है और उनका हाथ पीला करने का समय आ जाता है। ऐसे में मजबूर बाप मरता क्या न करता किसी न किसी तरह बिटिया की शादी करने के लिए जब वर की तलाश में निकलता है तो लोगों की मांगे सुनकर उसके हाथ पांव फूल जाते हैं। पैरों के नीचे की जमीन खिसकती नजर आती है। तब उसकी अन्तर आत्मा रोने लगती है। लेकिन बिटिया के सुखमय जीवन के लिए वह दिल पर पत्थर रखकर किसी न किसी तरह दहेज देने की व्यवस्था करके शादी करता है। लेकिन उसके आंख से आंसू उस समय बंद होने का नाम नहीं लेता जब शादी के बाद भी ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा दहेज की मांग की जाती है। ऐसे में मजबूर होकर बिटिया के बाप को दहेज विरोधी बनाए गए। कानून की याद आती है तब वह मदद के लिए कानून का सहारा लेता है। ऐसा ही एक मामला इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। बरसठी थाना क्षेत्र के बनकट महुआरी गांव निवासी प्रेमचंद मौर्या अपनी बिटिया अर्चना मौर्य की शादी प्रशांत मौर्य पुत्र सोभनाथ मौर्य निवासी ग्राम देऊपुर थाना सिकरारा के साथ हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शादी किया था और अपने समर्थ के अनुसार शादी में नगदी सहित अन्य सामान दिया था। शादी के बाद बिटिया की विदाई किया, सब कुछ ठीक था। उसके बाद लड़की का दोगा जाते ही दामाद के ऊपर दहेज का भूत सवार हो गया। वह मेरी बिटिया को टॉर्चर करने लगा। इसी बात को लेकर दवा दिलाने के बहाने मेरी बिटिया को मेरे घर पर छोड़कर फरार हो गया। घर पहुंच कर बिटिया सब कुछ बताने लगी। तब कुछ दिन बाद मैं संभ्रांत लोगों को साथ लेकर उसके दरवाजे पर गया। लेकिन वह नहीं माना अंत में थक हार कर मैंने थाना सिकरारा पर प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। पुलिस ने मेरा मुकदमा दर्ज करते हुए मामले की जांच कर रही है।