चीन में देशव्यापी विरोध के बाद जीरो कोविड प्रतिबंधों में ढील दिए जाने की संभावना है. चीन के शीर्ष कोविड अधिकारियों और कई शहरों ने ऐसे संकेत दिए हैं. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, लॉकडाउन को लेकर देशव्यापी विरोध और ज्यादा राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए आह्वान ने असर डाला है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अपनी शून्य कोविड नीति के चलते व्यापक स्तर पर लॉकडाउन, लगातार कोरोना टेस्टिंग और ऐसे लोगों के लिए भी क्वारंटीन जैसे प्रतिबंधों को सहा है जो संक्रमित नहीं थे. नतीजतन बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझू समेत बड़े शहरों में जिनपिंग सरकार के खिलाफ विरोध भड़क गया. अधिकारियों ने विरोध कर रहे लोगों पर कार्रवाई की बात कही, साथ ही यह संकेत देना भी शुरू कर दिया है कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अपनाई गई सख्त नीति में ढील दी जा सकती है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, बुधवार (30 नवंबर) को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग में बोलते हुए उप-प्रधानमंत्री सुन चुनलान ने कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कमजोर हो रहा है और टीकाकरण की दर में सुधार हो रहा है. बीजिंग में महामारी से निपटने के लिए सुन एक प्रमुख अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि नए हालात के लिए नए कार्यों की आवश्यकता है. उन्होंने अपने ताजा बयान में जीरो कोविड पॉलिसी का कोई जिक्र नहीं किया और कहा कि रोजमर्रा के जीवन में जल्द सुकून लौटेगा. बीजिंग से ऐसे बयान आए हैं कि रोजाना की परीक्षण की आवश्यकताओं को कम किया जाएगा. बीजिंग नगरपालिका शासन के एक प्रवक्ता जू हेजियान ने बुधवार को कहा कि ऐसे लोगों को अब रोजाना के परीक्षण से छूट गई है जो अक्सर घर से बाहर नहीं निकलते हैं, इनमें बुजुर्ग, वर्क फ्रॉम होम वाले, ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्र और पढ़ाने वाले शिक्षक शामिल हैं. बीजिंग में यह नियम है कि अगर कैफे, रेस्टोरेंट और शॉपिंग मॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों में जाना है तो पिछले 48 घंटे की कोरोना रिपोर्ट दिखानी पड़ती है. एक अखबार साउदर्न मेट्रोपोलिस ने गुरुवार को खबर प्रकाशित की, जिसमें बताया गया कि बीजिंग और ग्वांगझू में स्थानीय अधिकारी कुछ कोरोना पॉजिटिव मरीजों को सरकारी फैसिलिटी के बजाय घर में ही क्वारंटीन करने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, बाद में अखबार ने खबर डिलीट कर दी. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, उसने जब स्थानीय अधिकारियों से पुष्टि करनी चाही तो कोई जवाब नहीं मिला.