चीन और ईरान जैसे तमाम देश लोकतंत्र का सिर्फ दिखावा करते हैं. इन देशों में पूरी तरह से तानाशाही सरकार चलती है. आवाम की आवाज को दबाने के लिए मीडिया पर भी लगाम लगा कर रखी जाती है. बुधवार को रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की जारी रिपोर्ट में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान की वजह से जेलों में बंद पत्रकारों के आंकड़े में जबरदस्त उछाल हुआ. रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के विरोध प्रदर्शनों ने 2022 में दुनिया भर में कैद पत्रकारों की संख्या को 533 के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंचाने में मदद की है. फ्रांस स्थित एनजीओ के अनुसार, 2021 में यह आंकड़ा 488 से ऊपर है, जो पहले से ही एक रिकॉर्ड है. ईरान की वजह से अब ये और ज्यादा हो गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में जेलों बंद पत्रकारों में आधे से ज्यादा तो सिर्फ पांच देश में हैं. इन देशों में चीन सबसे आगे है. चीन में सबसे ज्यादा 110 पत्रकार जेलों में बंद हैं. उसके बाद म्यांमार (62), ईरान (47), वियतनाम (39) और बेलारूस (31) हैं. RSF के महासचिव क्रिस्टोफ डेलॉयर ने एक बयान में कहा, “तानाशाही और निरंकुश सरकारें पहले से कहीं ज्यादा तेजी से पत्रकारों को जेल में डालकर अपनी जेलें भर रही हैं. RSF के महासचिव ने कहा, “हिरासत में लिए गए पत्रकारों की संख्या का यह नया रिकॉर्ड बताता है कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए इन बेईमान सरकारों का विरोध करने और हमारी सक्रिय एकजुटता का विस्तार करने की तत्काल और सख्त आवश्यकता है.” RSF 1995 से हर अपनी रिपोर्ट पेश कर रहा है. बता दें कि पिछले साल की रिपोर्ट में ईरान का नाम नहीं था लेकिन हिजाब के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण इस साल रिपोर्ट में उसका भी नाम शामिल है. दुनियाभर में इस साल काम करते हुए मारे गए पत्रकारों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत वृद्धि हुई है. ब्रसेल्स स्थित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दुनियाभर में अब तक 67 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे जा चुके हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 47 थी. रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष किसी भी अन्य देश की तुलना में यूक्रेन में युद्ध की रिपोर्टिंग करने वाले मीडियाकर्मियों की मौत के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए. मरने वाले मीडियाकर्मियों में अधिकतर यूक्रेनी थे. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के महासचिव एंथोनी बेलंगर ने एक बयान में कहा कि मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता केवल उन लोगों को बढ़ावा देगी, जो सूचनाओं का मुक्त प्रवाह रोकने की कोशिश करते हैं और अपने नेताओं को जवाबदेह ठहराने की लोगों की क्षमता को कम करते हैं.