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Homeउत्तर प्रदेशउसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी...

उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी…

मेरठ. नेता बनने की चाहत जो न कराए कम है. अच्छे-अच्छे दोस्त दूर हो जाते हैं और दूर के दल पास आ जाते हैं. कुछ यही हाल आजकल सपा रालोद का चल रहा है. गठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर नाराज  चल रहे रालोदियों ने मंगलवार को एक प्रेस नोट जारी कर एलान किया कि वो अपने कैंडिडेट भी मैदान में उतारेंगे. मेरठ मेयर पद पर भी रालोद ने प्रत्याशी उतारे जाने का एलान कर दिया. रालोद ने कहा कि एक दो दिन के अंदर कैंडिडेट की घोषणा कर दी जाएगी. जिसका असर ये हुआ कि समाजवादी पार्टी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि बड़ौत और बागपत में समाजवादी पार्टी स्थानीय नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेगी. वो रालोद का समर्थन करेगी. इस ट्वीट के बाद रालोदियों के तेवर थोड़े नर्म पड़े हैं. कार्यकर्ताओं ने कहा कि मां भी जब बच्चे की उपेक्षा करती है तो वो रोकर अपनी आवाज़ बुलंद करता है.

मेरठ में रालोद पदाधिकारियों से जब न्यूज़ 18 की टीम ने बात की तो कहा गया कि उसूलों पर जब आंच आ जाए तो टकराना ज़रुरी हो जाता है. इस बात पर भी मंत्रणा की जा रही है कि आगे क्या होगा. पदाधिकारयों का कहना है कि छोटे चुनाव में ऐसा होता है. रालोद पदाधिकारियों ने कहा कि मेरठ नगर निगम पर वो अपना कैंडिडेट उतारना चाहते हैं. लेकिन आखिरी फैसला रालोद मुखिया चौधरी जयंत करेंगे. कहा गया कि वेस्ट यूपी में चाहे चौधरी चरण सिंह का दौर रहा हो या चौधरी अजीत सिंह का दौर रहा हो. हमेशा हमारी ही चली है. चयन समिति की महत्वपूर्ण बैठक भी आज मेरठ में हुई. इस बैठक में प्रत्याशियों को लेकर मंथन किया गया. समाजवादी पार्टी ने पहले ही मेयर पद प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. सपा की तरफ से सीमा प्रधान को मेयर पद का प्रत्याशी बनाया गया है. ऐसे में अगर रालोद की तरफ से मेऱठ नगर निगम सीट पर रालोद महापौर का प्रत्याशी उतारती है तो यहां का चुनाव कई संदेश देगा. अगर ऐसा होता है तो यकीनन दिलचस्प होगा कि जब सपा और रालोद आमने सामने होंगे तो चुनावी वादे और दावे क्या किए जाते हैं. और एक दूसरे पर टीका टिप्पणी कैसे करते हैं. जनता कह रही है कि ये चुनाव है आगे आगे देखिए होता है क्या.

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