बाराबंकी के लोधेश्वर महादेवा मंदिर से करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित भगहर झील को ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा. यह झील काफी प्राचीन व दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के लिए जानी जाती है. आपको बता दें कि करीब 84 हेक्टेयर में भगहर झील फैली है. झील का आधे से ज्यादा हिस्सा जलकुंभी के आगोश में है.जिसे साफ करके अब यह स्थान एक शानदार ईको पर्यटन स्थलके रूप में विकसित किया जायेगा.
पर्यटन विभाग इस झील के पास पाथ वे बनाएगा और बच्चों के लिए खेल स्थल विकसित कर झूले भी लगाए जाएंगे. पर्यटकों के लिए खाने-पीने की सुविधाओं के लिए कैंटीन भी बनेगी. जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी. इसके किनारे करीब आधा दर्जन गांव स्थित हैं. झील में वर्तमान समय में जरखा ड्रेन का पानी आता है. बारिश के समय सिमली नदी का पानी झील से होकर घाघरा नदी में जाता है. गर्मियों में इस झील में पानी काफी कम हो जाता है. अब इस झील के किनारों पर टहलने के लिए वाकिंग ट्रैक बनाया गया है. किनारे छायादार वृक्ष लगाए गए हैं और इस झील में नाव से भी आप सैर कर सकते हैं. यहां हर साल विदेशी पक्षी भी आते हैं. जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि सरकार भगहर झील को ईको पर्यटन के रूप में विकसित करने जा रही है. झील का सौंदर्यीकरण कराकर आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा. इसके लिए लगभग 5 करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है. स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू करा दिया जाएगा. यह झील ईको पर्यटक स्थल बनने से लोगों को रोजगार मिलेगा और अपनी आय भी दुगनी कर सकेंगे.