साल 2022 खत्म होने को है और कुछ दिनों में 2023 की शुरूआत हो जाएगी. बीत रहे साल पर अगर नजर डालें तो दुनिया में बहुत सी चीजें एक साथ हुईं. लेकिन अगर नार्थ कोरिया-अमेरिका संबंधों और परमाणु कार्यक्रम पर नजर डालें तो पाएंगे कि इस साल नॉर्थ कोरिया ने काफी आक्रामकता से अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाया.
पूरी दुनिया जब कोविड महामारी से जूझ रही थी ठीक उसी दौरान पहले से ही आइसोलेट नॉर्थ कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम को धार देने में जुटा हुआ था. अमेरिका और पश्चिमी देश उस पर इसलिए भी और दबाव नहीं बना पाए क्योंकि उनका ध्यान कोविड महामारी को लेकर बंटा हुआ था. हालांकि नॉर्थ कोरिया ने मई में पहली बार देश में कोविड महामारी के होने को स्वीकार किया, हालांकि यह बात अभी भी राज ही है कि वहां पर कोविड के कुल कितने मामले सामने आये और उन्होंने कोविड रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए. नॉर्थ कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पूर्व अमेरिकी राजनयिक इवांस रेवरे ने कहा कि 2022 में प्योंगयांग ने दो चीजें स्पष्ट कर दीं, पहली तो यह कि वह एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है, और दूसरा यह कि उसकी अमेरिका से बातचीत करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. रेवरे ने कहा, “जब हम पर उत्तर कोरिया से खतरे की बात आती है तो हम बहुत खतरनाक और असुरक्षित स्थिति में हैं, उसके (नॉर्थ कोरिय) परमाणु निस्त्रीकरण की संभावना पूरी तरह से खत्म हो गई है. नार्थ कोरिया ने 2017 के बाद पहली बार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) का परीक्षण शुरू किया था. इस दौरान उसने बड़े पैमाने पर नई ह्वासोंग-17 मिसाइलों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. ये वही मिसाइलें हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि ये संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में कहीं भी हमला कर सकती हैं. लॉन्ग रेंज की मिसाइल के परिक्षण के बाद प्योंगयांग ने तेजी से कम दूरी की परमाणु मिसाइलों की एक श्रृंखला शुरू की. इन कम दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल उत्तर कोरिया अपनी सामरिक महत्व की जगहों में करने के प्लान में है. इसी क्रम में उसने 2017 के बाद सें बंद अपने परमाणु परीक्षण स्थल को खोलने की तैयारी की है. जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह एक बार फिर नए परमाणु बम का परीक्षण करेगा.