मिर्जापुर: विंध्याचल में स्थित मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां रोजाना हजारों की संख्या में विविध संप्रदाय के उपासक दर्शन पूजन के लिए आते हैं और देवी मां को पूजा की तमाम सामग्रियों के साथ लाल रंग की चुनरी चढ़ाते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि आपने खुद भी श्रद्धाभाव के साथ मां विंध्यवासिनी को चुनरी चढ़ाई हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवी मां की पूजा में चढ़ाई जाने वाली चुनरी मुस्लिम परिवारों द्वारा बनाई जाती है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने वाले हैं.
बता दें, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में मुस्लिम समुदाय वर्षों से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश कर रहा है. विंध्याचल क्षेत्र के कंतित इलाके के कई परिवार 1947 यानि आजादी से पहले से हिंदुओं की आस्था के अनुरूप मां विंध्यवासिनी को चढ़ने वाली चुनरी को बनाने और बेचने का कारोबार करते आ रहे हैं. ये हमारे त्योहारों में सौहार्द की खूबसूरत मिसाल है. जो हमारी गंगा जमुनी तहजीब को अविरल प्रवाह प्रदान कर रही है. आस्था का प्रतीक देवी मां की यह चुनरी जहां सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रही है, वहीं धर्म के नाम पर लडऩे वालों को नसीहत भी देती है. मां विंध्यवासिनी मंदिर से लगभग एक किलोमीटर पहले कंतित में इस्माइल शाह चिश्ती की मजार के आसपास मुस्लिम परिवार रहते हैं. ये दशकों से लाल कपड़े को रंगीन सितारों और गोटे से सजाकर चुनरी बनाने का काम करते आ रहे हैं. चुनरी बनाने वाले कारीगर जावेद अली ने बताया कि यहां बनाए जाने वाले चुनरी व चौका को मां विंध्यवासिनी धाम के साथ-साथ अष्टभुजा व कालीखोह में भक्त चढ़ाते है. उन्होंने आगे बताया कि मां को चढ़ाए जाने वाली लाल रंग के चुनरी की डिमांड मिर्जापुर के अलावा वाराणसी, भदोही, सोनभद्र, जौनपुर आदि जिलों में है.