बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिहाई पर रोक लगाने से किया इनकार
शिवसेना सांसद संजय राउत जेल बुधवार को जेल से रिहा कर दिये गये. ईडी ने उनको पात्रा चॉल घोटाला मामले में 1 अगस्त को गिरफ्तार किया था. जेल से बाहर आते वक्त उन्होंने अपने पुराने बाहर जेल के बाहर उनके स्वागत में खड़े समर्थकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया.
राउत के रिहा होते ही आर्थर रोड जेल के बाहर उनके समर्थकों ने और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने जेल के बाहर पटाखे फोड़े, एक दूसरे को गुलाल लगाया और उनके समर्थन में नारे बाजी भी की. वह 100 दिनों से भी ज्यादा समय से जेल में बंद थे.
गुरुवार सुबह बॉम्बे हाईकोर्ट में की थी सुनवाई
शिवसेना नेता संजय राउत को ईडी ने पात्रा चॉल घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था. बुधवार को मुंबई में एक विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए उनकी जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया था. जमानत का विरोध करते हुए ई़़डी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया जहां पर उनकी जमानत को लेकर गुरुवार को सुनवाई की जाएगी. मुंबई हाईकोर्ट ने संजय राउत की जमानत याचिका पर फिलहाल के लिए स्टे देने से इंकार कर दिया था. ईडी की याचिका पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रक्रिया के खिलाफ जाकर सुनवाई नहीं की जा सकती है. हम गुरुवार सुबह को इस मामले में सुनवाई करेंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि महीने भर की सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने जो आदेश दिया है उस पर सिर्फ 10 मिनट में कोई डिसीजन देना ठीक नहीं है.
क्या है जमानत मिलने के बाद की प्रक्रिया?
शिवसेना नेता संजय राउत की जमानत मिलने की खबरों पर जेल के सूत्रों ने बताया कि हम नियमों के मुताबिक तथ्यों की जांच करते हैं और एक तय प्रक्रिया के मुताबिक कैदियों को रिहा करते हैं. आमतौर पर जेल जमानत के आदेश की कॉपी शाम साढ़े पांच बजे तक स्वीकार कर लेती है. जमानत पाने वाले किसी भी कैदी को इसकी एक कॉपी जेल के बाहर ड्रॉप बॉक्स में जमा करानी होती है और जेल अधिकारी उसकी एक कॉपी ले लेते हैं और फिर कैदी को रिहा कर देते हैं.
जमानत के लिए राउत के वकीलों ने क्या दलीलें दी थी?
संजय राउत के वकीलों ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि उनके खिलाफ जो मामला है वह सत्ता के दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है. ईडी ने राउत की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उन्होंने पात्रा चॉल पुनर्विकास से संबंधित धनशोधन मामले में प्रमुख भूमिका निभाई और धन के लेन-देन से बचने के लिए पर्दे के पीछे से काम किया. ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित कथित वित्तीय अनियमितता और कथित रूप से उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन से संबंधित है.