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अशफाक, हिना के बाद सरफराज, देवेंद्र और राजबल्लभ यादव बने खतरा

बिहार में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की ताकत उनके मुस्लिम-यादव समीकरण को माना जाता रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि मुस्लिम और यादव लालू से नाराजी का अपने-अपने अंदाज में इजहार करने लगे हैं। अशफाक करीम, हिना शहाब के बाद अब सरफराज गुस्से में हैं तो देवेंद्र प्रसाद यादव, राजबल्लभ यादव, पप्पू यादव भी लालू के प्रति गुस्से में लाल हैं।

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बड़े जतन से बिहार में सामाजिक न्याय और एम-वाई समीकरण का ढांचा खड़ा किया था। लंबे वक्त तक इस ढांचे का लाभ भी आरजेडी उठाता रहा। लगातार 15 साल तक बिहार पर लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी का राज रहा। एम-वाई समीकरण बनाने में लालू यादव के अलावा जिन मुस्लिम नेताओं की सक्रिय भागीदारी रही, उनमें सिवान के सांसद रहे मरहूम शहाबुद्दीन, तस्लीमुद्दीन और अब्दुल बारी सिद्दीकी के नाम उल्लेखनीय हैं। शहाबुद्दीन और तस्लीमुद्दीन अब रहे नहीं। अब्दुल बारी सिद्दीकी किसी तरह आज भी आरजेडी के झंडाबरदार बने हुए हैं। शहाबुद्दीन परिवार की प्रमुख उनकी पत्नी हिना शहाब अब आरजेडी से नाता तोड़ चुकी हैं। दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के बेटे पूर्व सांसद सरफराज आलम इस बार टिकट न मिलने से लालू पर खफा हैं। आरजेडी कोटे से राज्यसभा का सफर कर चुके अशफाक करीम ने तो इस्तीफा ही दे दिया। यादव नेताओं की बात करें तो देवेंद्र यादव पहले से ही आरजेडी के खिलाफ बगावत का झंडा उठा चुके हैं। एक पंक्ति में लब्बोलुआब यह कि आरजेडी का मुस्लिम-यादव (श्-भ्) समीकरण अब दरकने लगा है। इसकी गूंज भी तब सुनाई पड़ रही है, जब सिर पर लोकसभा का चुनाव है तो अगले साल विधानसभा का चुनाव बिहार में होना है।

अशफाक का मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप

अशफाक करीम तो खुल्लमखुल्ला आरजेडी पर मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। वे तर्क भी देते हैं कि जाति सर्वेक्षण में जब मुसलमानों की आबादी 18 प्रतिश निकली तो उन्हें प्रतिनिधित्व भी उसी अनुपात में मिलना चाहिए। अपने कोटे की 23 सीटों में आरजेडी ने 14 प्रतिशत यादव आबादी के लिए लोकसभा की आठ सीटें दी हैं, जबकि 18 फीसद मुसलमानों के लिए सिर्फ दो सीटों की गुंजाइश रखी। यह मुसलमानों की घोर उपेक्षा है।

आंसुओं में छिपा है गुस्सा

पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के बेटे और पूर्व सांसद सरफराज आलम को पक्का यकीन था कि उन्हें आरजेडी अररिया से अपना उम्मीदवार बनाएगा। संभव है कि उन्हें इस तरह का आश्वासन भी मिला हो। टिकट बंटा तो उनके भाई को मौका मिल गया। सरफराज के मन में इसे लेकर इतना गुस्सा है कि वे एक सभा में फफक कर रो पड़े और अपनी पीड़ा का इजहार कर दिया। अररिया में मुसलमानों की बहुलता है। यहां अकेले मुस्लिम-यादव आबादी करीब 45 प्रतिशत मानी जाती है।

हिना शहाब ने पहले ही पल्ला झाड़ा

आरजेडी के उत्थान में सिवान के सांसद रहे शहाबुद्दीन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। उनकी पत्नी हिना शहाब सिवान से तीन बार चुनाव लड़ चुकी हैं। चौथी बार वे फिर मैदान में हैं। फर्क इतना ही है कि पिछले तीन चुनाव उन्होंने आरजेडी के टिकट पर लड़े तो इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्हें मनाने के लिए आरजेडी ने सिवान से अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा भी रोक रखी है। आरजेडी अपने विधायक और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को उम्मीदवार बनाने की तैयारी कर रखी थी।

देवेंद्र यादव और वृषिण पटेल ने भी साथ छोड़ा

मुस्लिम-यादव समीकरण पर हथौड़ा बरसाने वालों में सिर्फ अशफाक करीम, सरफराज और हिना शहाब ही नहीं हैं, अब यादव भी साथ आने लगे हैं। इनमें सबसे उल्लेखनीय नाम देवेंद्र प्रसाद यादव का है। उन्होंने टिकट बंटवारे को देख कर पहले ही टिप्पणी की थी कि आरजेडी चुनाव जीतने के लिए टिकट नहीं बांट रहा है। उनके गुस्से का पारावार तब टूट गया, जब उन्होंने पूर्णिया में पप्पू यादव को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने में लालू यादव द्वारा डाली गई अड़चन का उल्लेख किया।

नवादा में दो विधायक प्रकाश और विभा बागी नवादा में आरजेडी को उसके दो विधायक ही खुली चुनौती दे रहे हैं। जेल में सजा काट रहे पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव की विधायक पत्नी विभा देवी और विधायक प्रकाश वीर निर्दलीय उम्मीदवार विनोद यादव के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। तेजस्वी ने नवादा में सभा की तो दोनों ने शिरकत करने से परहेज किया। जाहिर है कि यह उनके मन में आरजेडी के प्रति बैठी खटास का ही इजहार है।

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