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Homeअपना जौनपुरबिल संशोधन के बाद झट से बदल दिया जाता है मीटर

बिल संशोधन के बाद झट से बदल दिया जाता है मीटर

  • ओटीएस योजना के दौरान राजस्व को चपत लगाने का अंदेशा
  • रीडिंग छुपाने के लिए नो डिस्प्ले पर बदले जाते है मीटर

जौनपुर धारा, जौनपुर। बिजली विभाग के कुछ अभियंताओं की लापरवाही और उपभोक्ताओं से सांठ-गांठ कर दलालों के माध्यम से राजस्व को अच्छी-खासी क्षति पहुंचाई जा रही हैं। रीडिंग स्टोर के जिम्मेदारों द्वारा मीटर बदलने के खेल में उपभोक्ताओं को लाभ देकर निगम को लाखों रुपये की चपत लगाने का अंदेशा है। सरकारी आकड़ों में मीटर के बदले जाने का ब्योरा तो तैयार कर लिया है लेकिन कितनों की एमआरआई हुई इसका आकड़ा बता पाने में अधिकारी अनभिज्ञता जाहिर करतें हैं। जौनपुर बिजली विभाग के अभियंताओं की अनियमितता के चलते उपभोक्ताओं के परिसर पर सांठगांठ कर जेएमटी व अन्य गलत तरीके से मीटर बदलकर खुद की जेब गर्म कर ले रहें है। वहीं कनेक्शन पर लगे मीटर की रीडिंग तोड़कर बिल बनाया जा रहा है और फिर मीटर खराब बदलकर मामला साफ कर दिया जा रहा है। ओटीएस योजना के दौरान सरकार के साथ ही खुद के राजस्व में भी हिजाफा किया है। मीटर बदलने के पहले रीडिंग तोड़ी जाती है फिर धीरे से मीटर चेंज कर दिया जाता है और उपभोक्ता के बिल सुधार का मामला दर्शाया जाता है। हांलाकि 5 जनवरी को मीटर सेक्शन के एक्सईएन को आइडीएफ प्रकरणों के निराकरण में लापरवाही और अनियमितताओं के कारण निलंबित कर दिया गया है। लाइन लास रोकने और बकाया वसूली में जहाँ विद्युत विभाग गम्भीर है वहीं जिले के अभियंताओं ने ओटीएस में बड़े बिलों की रीडिंग तोड़कर शंसोधन किया और फिर उसमें भी ओटीएस का भी छूट दिलवाकर बड़े ही आसानी से लगभग 2 लाख के बिलों का संशोधन कर 30 से 40 हजार के बीच निबटारा कराकर 80 से 90 हजार तक की वसूली करने की जानकारी प्राप्त हुई है। संशोधन के बाद दलाल कनेक्शनधारियों से सम्पर्क कर परिसर पर लगा मीटर नो डिस्प्ले दिखाकर बदलवा देतें। जबकि वास्तव में उनके मीटर में रीडिंग स्टोर हजारों में होती है। बदले गए मीटरों में विभागीय नियमों की अनदेखी की जाती है। सरकारी आकड़ों की बात की जाये तो ओटीएस योजना के दौरान कुल 1963 मीटर उपभोक्ताओं के परिसर से बदला गया है जिसमें अधिकांश मामले नो डिस्प्ले और टी.पी.फाल्ट दिखाया गया है। वहीं हैरानी की बात यह भी है कि किसी भी मीटर की विभाग ने एमआरआई तक नहीं कराई है। हैरानी इस बात की भी है कि समय पर बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं के मीटर में कभी कोई फाल्ट नहीं आता है, खराबी उन्ही मीटरों में मिलती है जिनकी बकाया राशि अधिक होती है। मामलों पर अगर विभागीय जाँच हो जाये तो कई और अधिकारियों व बाबुओं के गर्दन पर तलवार लटक सकती है।

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