ईरान ने हिजाब विरोधी आंदोलन में हिस्सा लेने वाले दो किशोरों को मौत की सजा सुनाई है. इन पर महसा अमिनी की पुलिसिया हत्या के के बाद देश भर में शुरू एंटी हिजाब मूवमेंट में शामिल होने की वजह से उनको ये सजा सुनाई गई. इससे पहले महसा अमिनी की मौत के विरोध में प्रदर्शन करने वाले 23 साल की उम्र के दो लोगों को पहले ही ईरान मौत की सजा दे चुका है. आंदोलन में शामिल करने वाले लोगों का डर है कि दर्जनों और लोगों को भी की सजा सुनाई जा सकती है. क्योंकि आंदोलन की वजह से बैकफुट पर आया ईरान विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए और लोगों में डर पैदा करने के लिए इस नीति का इस्तेमाल कर रहा है.
क्या बोला ईरान का मानवाधिकार समूह?
ईरान के ओस्लो स्थित मानवाधिकार (आईएचआर) समूह ने बताया कि माजंदरान प्रांत के पश्चिमी नौशहर में एक ट्रैफिक पुलिस कियोस्क को आग लगाने के आरोप में 18 वर्षीय प्रदर्शनकारी मेहदी मोहम्मदिफर्ड को मौत की सजा सुनाई गई. मौत की सजा सुनाते हुए ईरान की प्रांतीय राजधानी की अदालत ने दोनों प्रदर्शनकारियों को ईश्वर के खिलाफ अपराध में लिप्त होने का दोषी पाते हुए सजा सुनाई. आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी-मोगद्दम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि मिली जानकारी के अनुसार 18 वर्षीय मोहम्मदी फर्ड को इस विरोध प्रदर्शन करने के कारण यह सजा सुनाई गई है. ईरान की ही मिजान ऑनलाइन समाचार वेबसाइट के मुताबिक एक अन्य प्रदर्शनकारी मोहम्मद बरोघानी को भी इसी अदालत ने दिसंबर में ईश्वर के खिलाफ अपराध के आरोप में दिसंबर में सजा सुनाई गई है. ईरान में एक आरोपी को 12 दिसंबर को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद ईरान के खिलाफ कई मानवाधिकार समूहों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया. 12 दिसंबर को एक 23 वर्षीय यूवक को सार्वजनिक रूप से फांसी की सजा सुनाई गई थी.