- खामोश है जौनपुर की जनता, पता नहीं किसके सिर सजेगा ताज

जौनपुर धारा,जौनपुर। लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दल सक्रिय हैं। भाजपा, बसपा व इंडी गठबन्धन के साथ दलों के कार्यकर्ता भी चुनाव की तैयारियों में जुट गये है। जहाँ भाजपा ने महाराष्ट्र में कॉग्रेस पार्टी से राजनीति कर भाजपा में शामिल हुए कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है, तो वहीं गठबंधन वाली पार्टी सपा ने तमाम मंथन करने के बाद बाबू सिंह कुशवाहा पर अपना दांव आजमाया है, बीती देर शाम बसपा ने भी श्रीकला धनंजय सिंह को टिकट देकर जौनपुर की राजनीति में बड़ा धमाका कर दिया है। लेकिन दो दिनों के बीच लोगों के इन्तजार पर मुहर लग गई। जन चर्चाओं की माने तो इस समय जौनपुर लोकसभा सीट की सबसे मजबूत उम्मीदवार बसपा प्रत्याशी को माना जा रहा है। चुनाव की तैयारी में प्रशासन व राजनीति दल के लोगों की सक्रियता बढ़ने लगी है। लेकिन इस बार ज्यादातर मतदाता शांत नजर आ रहे हैं। वे अपनी मन की बात बताने के बजाय उम्मीदवारों और प्रचारकों की बातों और वादों को तौल रहे हैं। या यूं कहें कि अपनी आकांक्षा और उम्मीदों की कसौटी पर दलों के उम्मीदवारों को तौल रहे हैं। लोगों के काफी इन्तजार के बाद चुनावी मैदान में इंडी गठबन्धन और बसपा ने भी अपना दांव खेल दिया है। जौनपुर की जनता ने भी अपना मन पहले से ही बना लिया है लेकिन कुछ बोलने को तैयार नहीं है। चुनावी मैदान में मतदाताओं को लुभाने,रिझाने के वादों और गारंटी का दावा जमकर किया जा रहा है। जौनपुर की जनता ने अपना फैसला तो कर लिया है पर खामोशी की ऐसी चादर ओढ़ रखी है, जिसे पहचानना और परखना राजनीतिक दल के नेताओं और प्रचारकों के लिए कठिन ही है। यूपी की राजनीति के प्रमुख दलों के सूरमा चुनावी मैदान में मतदाताओं को लुभाने और रिझाने के वादों और गारंटी का दावा कर रहे हैं। लोकसभा सीट पर क्या चल रहा है, जनता का मिजाज कैसा है, वे क्या सोच रहे हैं और किस दल के उम्मीदवार के लिए मन बना रहे हैं, इन विषयों पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। वहीं जौनपुर की जनता पिछले कई कार्यकालों जौनपुर की धरती से चुनाव लड़ने वाले बाहरी नेताओं को आजमा चुकी है। जिसका सीधा नतीजा यह रहा है कि उन्होने भले ही जौनपुर को विकास की कुछ गति दी हो लेकिन जनता का दर्द सूनने के लिये उनके बीच मौजूदगी का एहसास नहीं करा पायें, जिससे लोगों के भरोसे में काफी गिरावट आ रही है।