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शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते राजकीय कन्या स्कूल के बच्चों का भविष्य अंधकारमय

जौनपुर धारा,मुंगराबादशाहपुर। नगर के सिपाह मोहल्ले में एक शिक्षक के भरोसे राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल चल रहा है। जिससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है और अभिभावक भी उनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं। तो विभागीय अधिकारियों की अनदेखी का खमियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा। हैरत कि बात यह है कि जहां बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकार विभिन्न अभियान चलाकर उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करने का काम कर रहा है। वहीं मुंगराबादशाहपुर नगर के सिपाह मोहल्ले में स्थित राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल में शिक्षा विभाग के अनदेखी के चलते बच्चों का भविष्य अंधकारमय और चौपट कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि बीएसए को जानकारी होने के बाद भी अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। बताते चलें कि जौनपुर जिले के मुंगराबादशाहपुर नगर के सिपाह मोहल्ले में स्थित राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही से 163बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता दिख रहा है और एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल चल रहा है। यह लापरवाही पिछले कुछ सालों से हो रहा है और हैरान कर देने वाली बात यह है कि जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ गोरखनाथ पटेल को जानकारी होने के बाद भी उन्होंने आज तक उक्त जूनियर हाईस्कूल में शिक्षकों की कमी पूरी नहीं की और न ही कोई ठोस कदम उठाए गए। जिससे बच्चों की विभिन्न विषयों की पढ़ाई अवरुद्ध हो रही है और उनका भविष्य चौपट भी हो रहा है। स्कूल की आठ कक्षाओं में 163विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। उनको हर सभी विषयों को पढ़ा पाना एक शिक्षक के बस की बात नहीं है, और मानक के अनुसार यहाँ नौ शिक्षकों की नियुक्ति होना चाहिए। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि विद्यालय में 163 बच्चे हैं और मार्च 2019से किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है और बच्चों की संख्या के हिसाब से नौ शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। यह सारी बातें एबीएसए और बीएसए को भी बताई गई है लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं और न ही शिक्षकों की कमी आज तक पूरी नहीं हुई है। वहीं अब शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण बच्चों का भविष्य अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है और पिछले तीन सालों से विद्यालय एक ही अध्यापक के भरोसे चल रहा है। विभिन्न विषयों के शिक्षकों की कमी पूरी न होने के कारण अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है और एक शिक्षक अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाने का काम कर रहे और उन्हें अकेले ही संभालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह अकेले एक अध्यापक के बस की बात नहीं है। विभागीय अधिकारियों के उदासीनता के कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है और अभिभावकों का कहना है कि एक ही शिक्षक सभी विषयों को कैसे पढ़ा पाएगा। स्कूल में नियुक्त शिक्षक ज्यादातर समय कामकाज मध्यान्ह भोजन की देखरेख में निकल जाता है और वह अकेले कहाँ तक इतने बच्चों को संभाल पाएंगे। इस संबंध में एबीएसए ने बताया कि वहां पर बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए अलग से शिक्षक की तैनाती की गई है और जब शासन भर्ती करेगा तो आगे कुछ हो पाएगा। फिलहाल यह मामला डीआईओएस के अंडर में आता है।

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