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Homeअपना जौनपुरव्यक्तित्व की पहचान और संस्कृति का दर्पण है वाणी : डॉ.रूचिता

व्यक्तित्व की पहचान और संस्कृति का दर्पण है वाणी : डॉ.रूचिता

जौनपुर धारा,जौनपुर। उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो.रुचिरा सेठी एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो.डॉ.ए.ए.जाफरी के निर्देश पर ईएनटी विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉ.राजश्री यादव एवं सहायक आचार्य, डॉ.बृजेश कुमार के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को विश्व वाणी दिवस  कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या डॉ.रुचिरा सेठी ने अपने उद्बोधन से किया। प्राचार्या ने हर आयु वर्ग के लोगो में वाणी को लेकर जागरूक किया कि ‘वाणी न केवल विधारों को प्रकट करने का माध्यम है, बल्कि यह व्यक्तित्व की पहचान और संस्कृति का दर्पण भी है। विश्व वाणी दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि वाणी की शक्ति को सही दिशा में प्रयोग कर हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है। तपश्चात डॉ.ए0ए0 जाफरी ने विश्व वाणी दिवस पर चर्चा करते हुए बताया कि विश्व वाणी दिवस प्रतिवर्ष 16अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन की शुरूआत 1999 में ब्राजील देश के एक समूह द्वारा की गई थी। जिसका उद्देश्य था मानव वाणी के महत्व को पहचान देना, और लोगों को स्वरयंत्र के स्वास्थ्य व देखभाल के प्रति जागरूक करना। बाद में 2002 से यह एक अंतरराष्ट्रीय पहल के रूप में सामने आया, और आज यह दुनिया भर में मनाया जाता है। ‘आपकी वाणी ही आपके व्यक्तित्व की असली पहचान है। एक मधुर, मर्यादित और प्रेरणादायक वाणी न केवल संवाद को सशक्त बनाती है, बल्कि समाज में सौहार्द और सद्भावना को भी बढ़ावा देती है। विश्व वाणी दिवस पर ईएनटी विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉ.राजश्री यादव ने विस्तृत जानकरी देते हुए बताया कि आज के डिजिटल युग में संवाद का महत्व और भी बढ़ गया है। शिष्ट, प्रभावशाली और संवेदनशील वाणी ही सशक्त नेतृत्व और समर्पित नागरिक की पहचान है। वाणी से संबंधित विभिन्न बीमारियों के बारे में जागरूक करते हुए बताया कि जैसे हकलाना, आवाज बैठना, गले में गांठ या स्वरयंत्र की खराबी को शुरूआती पहचान लेना इलाज को आसान बनाता है। वाणी में समस्या टॉन्सिल, एलर्जी, संक्रमण, वोकल कॉर्ड्स की सूजन या ट्यूमर के कारण भी हो सकती है। तनाव और अत्यधिक बोलने की आदत भी आवाज पर असर डाल सकती है। वाणी की समस्या से पीड़ित लोगों को हमेशा धूम्रपान, अधिक गर्म चाय-कॉफी, तथा अत्यधिक ठंडा पानी और शोरगुल वाले माहौल से दूर रहना चाहिए। यह एक ला-इलाज बीमारी नहीं है मरीज के नियमित परहेज एवं दवा से इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। ईएनटी विभाग के सहायक आचार्य, डॉ.बृजेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि ‘वाणी केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि यह हमारे संस्कारों, सोच और व्यक्तित्व की सजीव झलक होती है। विश्व वाणी दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमारी वाणी में कितना सामर्थ्य है वह प्रेरित कर सकती है, सुधार सकती है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ.रिमांशी ने किया। इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षक प्रो.तबस्सुम यासमीन, प्रो.भारती यादव, प्रो.उमेश सरोज, डॉ.विनोद कुमार, डॉ.अरविन्द पटेल, डॉ.चन्द्रमान, डॉ.सरिता पाण्डेय, डॉ.ममता, डॉ.हमजा अंसारी, डॉ.आशुतोष सिंह, डॉ.आदर्श यादव, डॉ.मुदित चौहान सहित आदि उपस्थित रहें।

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