जौनपुर धारा, सुइथाकला। गीताजयंती के अवसर पर क्षेत्र के जीएसपीजी कालेज समोधपुर के संस्कृत विभाग में एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य डॉ.रणजीत कुमार पाण्डेय ने गीता को विश्व में सर्वाधिक उदाहृत और समादृत ग्रन्थ बताया। उन्होंने कहा कि आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व मोक्षदा एकादशी के दिन भारतीय संस्कृति के महानायक लीलापुरुषोतम भगवान श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र वर्तमान हरियाणा में विषादग्रस्त अर्जुन को जो कर्तव्योपदेश दिया, वह श्रीमद्भगवद्गीता और संक्षेप मेंं गीता नाम से प्रख्यात हुअा। मानवमात्र के इस अमूल्य धरोहर की महिमा का विश्व के दिग्गज दार्शनिकों, वैज्ञानिकों और विद्वानों ने मुक्तकंठ से बखान भी किया है।आज पाश्चात्य जगत में भारत का सर्वाधिक उदाहृत और समादृत ग्रंथ गीता ही है। आगे उन्होंने कहा कि गीता में वर्णित कुरूक्षेत्र का युद्ध तथ्यात्मक इतिहास होने के अतिरिक्त प्रतीकात्मक भी है। हम अपने भीतर और बाहर अनेक द्वन्दों, भयों और विषम परिस्थितियों से निरंतर संघर्ष करते रहते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि भारतीय प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी पद्मनाभ भगवान श्रीकृष्ण के मुखकमल से निःसृत इस मधुर संगीत को विश्व और मानवता के लिए सर्वोत्तम उपहार मानते हैं। बतौर मुख्य वक्ता डॉ.प्रदीप दूबे ने गीता को मानवमात्र का मित्र, बन्धु और गुरु कहा। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में प्रबंधक हृदय प्रसाद सिंह ने पाश्चात्य चिंतन को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाली शिरोमणि स्वरुपा भारतीय दर्शन के अनुपम ग्रंथ गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में घोषित करने का सुझाव दिया।विशिष्ट अतिथि के रूप में क्षेत्रीय विधायक प्रतिनिधि व पत्रकार संतोष पाण्डेय ने गीता को परम रहस्यमयी ग्रंथ बताया। गोष्ठी में नैक समन्वयक प्रो.अरबिन्द कुमार सिंह,प्रो.राकेश कुमार यादव डॉ.अविनाश वर्मा, डॉ.लक्ष्मण सिंह, डॉ.पंकज सिंह व डॉ.वंदना तिवारी आदि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर प्राचार्य द्वारा आगन्तुकों को अंगवस्त्रम और गीता भेंट कर सम्मानित किया गया।
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विश्व में सर्वाधिक उदाहृत और समादृत ग्रन्थ है गीता : प्रो.रणजीत पाण्डेय
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