
जौनपुर धारा, जौनपुर। कुटीर उपवन चक्के में आयोजित एक दिवसीय कथा में श्री 1008 जगतगुरु हरिप्रपन्नाचार्य महाराज राजराजेश्वरी शक्ति पीठाधीश्वर चक्रसुदर्शनपूरी प्रयागराज ने श्रीमद्भगवत गीता एवं श्री रामचरितमानस का बोधगम्य महात्म का वर्णन करते हुए बताया कि हमारा अनमोल समय परदोष दर्शन में खप रहा है। मानव बनना तो सरल है पर मानवता लाना कठिन है। कथा एवं सत्संग की परंपरा बहुत पुरानी है। जीव मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र पर रुका हुआ है इसलिए प्रत्येक मनुष्यों को अपने अंदर से भेदभाव को त्याग कर समभाव रूप से सभी का सम्मान करना चाहिए। श्रीरामचरितमानस को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि संसार की हर वस्तु नश्वर है। मोह ग्रस्त होकर ऐसा कर्म ना करें जिससे पश्चाताप करना पड़े। कुटीर संस्थान के व्यवस्थापक डॉ. अजयेन्द्र कुमार दुबे ने मंचस्थ संतश्री का अभिनंदन करते हुए आगत जनों के प्रति आभार ज्ञापित किया। कुटीर संस्थान से संबद्ध सभी इकाइयों के प्रधानाचार्य एवं प्राचार्य ने मंचस्थश्री का अभिनंदन किया। इस अवसर पर ब्रह्मदेव दुबे, पं. राम सुमेर मिश्र, भूषण मिश्र, चंद्रदेव मिश्र, राम सागर मिश्र, डॉ. श्रीनिवास तिवारी, पं. अविनाश दुबे, डॉ. दिवाकर मिश्र, शिवानंद शुक्ल, प्रभात मिश्र समेत शिक्षा संकाय के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी तथा छात्र एवं छात्राएं समेत क्षेत्रीय प्रभृति जन उपस्थित रहे। कथा संचालन देववाणी भाषा में आचार्य श्यामजीत पांडेय ने किया।