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भारत की चीन को लेकर नीतियों में नहीं हुआ कोई बदलाव

भारत की चीन को लेकर नीतियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के मसले पर हमेशा ही बहुत अडिग रहे हैं और उन्हें भारत-चीन सीमा पर हमारी सेना की मजबूत तैनाती से आंका जाना चाहिए. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री के हाथ मिलाने की विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए ये बातें कही. विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ संबंध को लेकर दो वास्तविकता है. वास्तविकता है कि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसके साथ ही वो भारत का निकटतम पड़ोसी है. एस जयशंकर ने इसमें आगे जोड़ते हुए कहा कि ये भी तथ्य है कि भारत का चीन के साथ एक मुश्किल इतिहास, संघर्ष और बहुत बड़ा सीमा विवाद रहा है. विदेश मंत्री ने कहा कि चीन से निपटने का सही तरीका यही है कि हम अपने रुख पर हमेशा अडिग रहें.

शुक्रवार को टाइम्स नाउ समिट में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि चीन जो कर रहा है उससे निपटने के लिए हमें अपने सैनिकों को सीमा तक ले जाना होगा और हमें यही करना चाहिए. जिन मुद्दों पर चीन हमारे हितों का समर्थन नहीं करता है या उन्हें कमजोर करता है, उनके बारे में हमें सार्वजनिक होकर बात करनी होगी. जहां कूटनीति की जरूरत होती है, वहां खुलकर बात करना हमेशा फायदेमंद होता है. विदेश मंत्री का ये भी मानना है कि कूटनीति के साथ नेता जिस तरह से व्यवहार करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसकी मर्यादा बनाए रखी जानी चाहिए और शी जिनपिंग के साथ हाथ मिलाने में बिल्कुल ऐसा ही हुआ है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस महीने की शुरुआत में बाली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में एक साइड इवेंट में हाथ मिलाया था. G20 प्रतिनिधियों के लिए इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो की ओर से आयोजित स्वागत रात्रिभोज से मीडिया के लिए एक लाइव वीडियो फीड में दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया था.  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों नेताओं के बीच हाथ मिलाने की विपक्षी पार्टियों की ओर से आलोचना से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए ये बातें कही. उन्होंने कहा कि भारत एक स्वतंत्र देश है और यहां लोगों को कुछ भी कहने का अधिकार है. जो जिम्मेदारी नहीं समझते, वे भी बिना सोचे समझे कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र हैं. जिम्मेदार लोग समझेंगे कि भारत के नेता का व्यवहार कैसा होना चाहिए. विदेश मंत्री ने कहा कि हाथ मिलाने के शिष्टाचार को चीन के प्रति भारत के रुख से जोड़ना सही नहीं है. प्रधानमंत्री चीन पर हमेशा अडिग रहे हैं. इस मसले पर प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट रहे हैं और न सिर्फ शब्दों से, बल्कि अपने कार्यों से भी इसे दिखाया है. 2020 से हमारी सीमा पर इतनी बड़ी सेना को बनाए रखने के लिए की गई कोशिशों को समझना होगा. ये बहुत बड़ा काम है. चीन के साथ भविष्य में संबंध पर विदेश मंत्री एस जयंशकर ने कहा कि चीन को लेकर संरचनात्मक दीर्घकालिक चुनौतियां हैं. पहले इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. आज हम चीन सीमा पर सैनिकों को भेजने के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन, 10 साल पहले लोग कहते थे कि सेना भेजना सीमा को मजबूत करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है. विदेश मंत्री ने कहा कि अब यही इस चुनौती से निपटने का सबसे सही तरीका है. भारत दुनिया के लिए कैसे तैयार हो रहा है, ये इस बात पर निर्भर है कि हम अपनी सीमा पर बुनियादी सुविधाओं का कितना विकास कर रहे हैं और देश के भीतर कितना अधिक क्षमताओं का निर्माण कर रहे हैं. इन दोनों मुद्दों का संबंध किसी के खिलाफ होने से नहीं है.

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