Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

महानंदा एक्सप्रेस के बाथरूम से 17 लीटर शराब बरामद

गाजीपुर। दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर बिहार के लिए संचालित होने वाली ट्रेनें शराब तस्करों के लिए मुफीद बन गई है। आरपीएफ व जीआरपी...
Homeअंतर्राष्ट्रीयबांग्लादेश में नरसंहार और महिलाओं के बलात्कार के लिए पाकिस्तानी जनरल अब...

बांग्लादेश में नरसंहार और महिलाओं के बलात्कार के लिए पाकिस्तानी जनरल अब तक नहीं ठहराए गए कसूरवार

बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के 50 साल बाद भी पाकिस्तानी जनरल को 1971 की घटनाओं के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया गया है. यह जानकारी द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट से सामने आई है. न्यूज एजेंसी के अनुसार, 21 फरवरी 1952 को ढाका में चार छात्रों की हत्या कर दी गई थी. उन्होंने बांग्ला को पूर्वी पाकिस्तान की मुख्य भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता देने का आह्वान किया था. सेना बंगालियों को समाज के योग्य सदस्य नहीं मानती थी.

1956 में बांग्ला को नवगठित इस्लामिक गणराज्य के संविधान के तहत एक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई. हालांकि, पश्चिमी पाकिस्तान की मनमानी के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान में आए दिन विरोध प्रदर्शन होने लगे और यह एक नियमित घटना बन गई थी. द फ्राइडे टाइम्स के अनुसार, 1971 का नरसंहार पाकिस्तान की प्रतिष्ठा के लिए विनाशकारी था. हालांकि, पाकिस्तान के जनरल अभी भी उस सामूहिक नरसंहार से पल्ला झाड़ते आए हैं. जनरल टिक्का खान और जनरल खान नियाज़ी के नेतृत्व में पश्चिम पाकिस्तान, तीस लाख से अधिक बंगालियों की मौत और पूरे क्षेत्र में लगभग 4,00,000 महिलाओं के बलात्कार के लिए जिम्मेदार था. बंगाली टका की क्रय शक्ति अब पाकिस्तानी रुपये की तुलना में दोगुनी है. द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश गणराज्य लंबे समय से प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने संबंधों को भूल गया है और अब फलने-फूलने का विकल्प चुन रहा है. हाल ही में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश की उप स्थायी प्रतिनिधि संचिता हक ने पाकिस्तानी सेना के 1971 के नरसंहार को मान्यता देने की मांग भी की थी. सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हक ने कहा, “बांग्लादेश सरकार ने 25 मार्च को नरसंहार दिवस के रूप में घोषित किया है. बांग्लादेश हर जगह नरसंहार की निंदा करता है. हम नरसंहार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे और न्याय और जवाबदेही की मांग करते रहेंगे. हम 1971 के नरसंहार की मान्यता के लिए भी काम करना जारी रखेंगे. बता दें, 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ शुरू किया था, जिसमें पाकिस्तानी सेना ने एक सुनियोजित सैन्य अभियान चलाया और पाकिस्तानी सेना ने जानबूझकर लाखों बांग्लादेशी नागरिकों को नुकसान पहुंचाया.

Share Now...