शाहगंज। क्षेत्र के बड़ागांव में रविवार को जुलूस-ए-आश़ूर बरामद किया गया। सैयद इम्तियाज हुसैन के अज़ाखाने से 10मोहर्रम का ऐतिहासिक जुलूस का नेतृत्व सैयद अबूज़र आब्दी द्वारा किया गया। जुलूस के दौरान ज़ायरीनो ने जंजीर का मातम पेश किया। 10मोहर्रम के तारीख में हजरत इमाम हुसैन को शहीद करने के बाद उनकी लाश के सिर को एक नेजे पर रख कर कर्बला के मैदान से दमिश्क की तरफ यजीद को भेजा गया था। पैगंबर-ए इस्लाम मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को पूरे आल समेत प्यासा व भूखा रख कर शहीद किया गया था। कर्बला की लड़ाई हकीकत में सच व झूठ की लड़ाई थी। ये मानवता, लोकतंत्र व समानता की लड़ाई थी। इस्लाम के मानने वालों की बहुसंख्या मोहम्मद साहब के नवासे, अली के बेटे इमाम हुसैन के साथ हैं और अय्याश व जालिम बादशाह यजीद ने अपने कबीले बनी उमय्या की फौजी व माली ताकत के बल पर बादशाहत हासिल की थी। तब हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने ता$कत रखते हुए अहिंसा के रास्ते को अख़्तियार किया, और 10मोहर्रम को इमाम हुसैन के पूरे परिवार के साथ कर्बला के मैदान में निर्मम हत्या करवा दी गई। उन्हीं की याद में बड़ा गांव में जुलूस का आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्र के सभी वर्ग के लोग ने अपना अपना सहयोग प्रदान किया। जुलूस का उपदेश भी आपसी भाई चारा सौहार्द और मानवता का है जो बड़ा गांव में भली भांति देखने को मिलता है। जुलूस के दौरान आले हसन गुल्ला, हसन मेंहदी, ज़$फर, समीम हैदर, वारिस हाशमी, एज़ाज बुद्धू, बब्लू इलेक्ट्रीशियन, ज़ाकिर हुसैन सैजी, रईस अहमद, समेत सैकड़ों अकीदतमंद मौजूद रहें।
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