दुनिया में सबसे खतरनाक माने जाने वाले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अपने सरगना की मौत का ऐलान बुधवार 30 नवंबर को किया. अबू अल हसन अल हाशिमी अल कुरैशी का साया आईएस के सिर से उठ जाने के बाद अब अबू अल हुसैन अल हुसैनी अल कुरैशी को नए चीफ की पदवी से नवाजा गया है. इस संगठन का खौफ कहे या इसके कारनामों का जाल कि इसकी छोटी से छोटी हलचल पूरी दुनिया को हरकत में लाने के लिए काफी होती है. आईएस को नया सरगना मिलने के बाद से उसके मिजाज और उसकी पहचान के बारे में अधिक से अधिक जानने की उत्सुकता दुनिया में कम होती नहीं दिख रही है. इसे आईएस की मक्कारी, चालाकी या खसियत कहें कि वो अपने मुखियाओं की जानकारी हमेशा पहेली बना कर रखता है. अबू अल हुसैन अल हुसैनी अल कुरैशी को लेकर भी उसने यहीं किया है. उसके नाम का तो आईएस से ने पूरी दुनिया में डंके की चोट पर ऐलान कर डाला है, लेकिन उसकी पहचान और खानदान को रहस्य ही बना कर रखा है. आखिर कौन है ये अबू अल हुसैन अल हुसैनी अल कुरैशी जो अब तबाही मचाने वाले इस संगठन की कमान संभाल रहा है? इस्लामिक स्टेट के टेलिग्राम चैनल ने 30 नवंबर को एक ऑनलाइन ऑडियो मैसेज पोस्ट कर एक बार फिर दुनिया को हैरान कर दिया. आईएस के स्पोक्सपर्सन अबू उमर अल मुहाजिर ने 10 मिनट के इस ऑडियो मैसेज में जो कहा वो दुनिया को हैरत में डालने वाला था. इसमें आईएस के सरगना अबू अल हसन अल हाशिमी अल कुरैशी की मौत के साथ ही नए सरगना के नाम का ऐलान किया गया था. स्पोक्सपर्सन मुहाजिर ने अबू अल हुसैन अल हुसैनी अल कुरैशी के नाम का ऐलान संगठन के नए सरगना के तौर पर किया. इसके अलावा आईएस के इस स्पोक्सपर्सन ने संगठन के सभी लड़ाकों से नए चीफ के लिए वफादार और ईमानदार रहने को कहा. उन्होंने इसके लिए आईएस के लड़ाकों को कसम खाने को भी कहा. उन्होंने आगे कहा कि नए सरगना अनुभवी और हमारे पुराने मुजाहिदीन साथी है. वो संगठन के बेटे हैं. वो संगठन के लिए जो भी फैसले लेंगे उसी के तौर पर उनके बारे में राय कायम की जाए. इसके अलावा इस नए सरगना के बारे में आईएस ने कोई जानकारी नहीं दी. इसके साथ ही एक बार फिर हमेशा की तरह इस आतंकी संगठन ने दुनिया को एक पहेली सुलझाने के लिए दे दी है. दुनिया कयास लगाती रहेगी और वो हमले करता रहेगा. हालांकि इस संगठन के लीडर की मौत ऐसे वक्त में हुई है जब वो अपने कमजोर दौर का सामना कर रहा है. कुछ ही साल में दुनिया के इस सबसे खौफनाक आतंकी नेटवर्क की ताकत कम हुई है और अब ये केवल अपनी पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष करने वाले एक कम ताकतवर विद्रोह में तब्दील हो गया है. इसकी सक्रियता अब संघर्ष का सामना कर रहे देशों के ग्रामीण इलाकों में ही है. अल जज़ीरा के मुताबिक कम इतने कम समय में आईएस के एक के बाद एक सरगना की मौत इस संगठन के लिए बड़ा सदमा है. आईएस से आजिज आ चुकी सीरिया की सरकार ने इस साल अक्टूबर में ही दूसरे लड़ाकें विद्रोही गुटों को लेकर आईएस के खिलाफ मुहिम छेड़ने का ऐलान किया था. लाफ़ साझा अभियान छेड़ने की घोषणा की थी. गौरतलब है कि साल 2017 में ही अमेरिकी की अगुवाई में गठबंधन सेना ने इराक में आईएस के खात्मे का ऐलान कर डाला था. जबकि सीरिया में दो साल बाद ऐसा ही ऐलान किया गया. बावजूद इसके इन दोनों मुल्कों आईएस के हमलों से मुक्ति नहीं मिल पाई है. आईएस ने अपने मारे गए चीफ को लेकर भी कुछ ऐसी ही पहेली सुलझाने के लिए दी है. उसने अपने चीफ अबू अल हसन अल हाशिमी अल कुरैशी की मौत का ऐलान तो किया, लेकिन ये नहीं बताया कि वो मारा कैसे गया. जो ऑडियो मैसेज आईएस ने पोस्ट किया है उसमें केवल ये कहा गया है कि अबू अल हसन अल हाशिमी अल कुरैशी की मौत खुदा के दुश्मनों से जंग में हुई है. हालांकि नए सरगना की तरह ही पहचान इसकी पहचान को भी आईएस ने पूरी तरह से जाहिर नहीं किया है. इस साल एक अजीब वाकया आईएस के साथ पेश आया है जब उसे महज 9 महीनों के अंदर अपने 3 सरगना बदलने पड़े हैं. उधर अमेरिका का कहना है कि अबू अल हसन अल हाशिमी अल कुरैशी की मौत अक्टूबर मध्य में ही हो गई थी. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन मुताबिक अबू अल-हसन की मौत दक्षिण सीरिया में विद्रोही गुट फ्री सीरियन आर्मी के एक अभियान के दौरान हुई. इस गुट ने अक्टूबर मध्य से ही दक्षिण सीरिया के दार्रा में आईएस के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी थी. 27 अक्टूबर 2019 तक इस आतंकी संगठन की कमान अबू बक्र अल-बगदादी के हाथ में है. मौजूदा चीफ की मौत के ऐलान की तरह ही 31 अक्टूबर 2019 को आईएस ने बगदादी और समूह के स्पोक्सपर्सन अबु अल-हसन अल-मुहाजिर की मौत का ऐलान किया था. बगदादी की मौत के बाद अबु इब्राहिम अल हाशिमी अल कुरैशी को संगठन का नया सरगना चुना गया था, लेकिन फरवरी 2022 में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्वीट किया था कि अमेरिकी सेना ने सीरिया में आईएस सरगना अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी को मार गिराया है. बगदादी की तरह उसने भी खुद को बम से उड़ा लिया था. आईएस जैसे बयान देता है वैसे ही इसके कई नाम भी हैं. इसे दाएश, इस्लामिक स्टेट इन सीरिया एंड लेवांत, इस्लामिक स्टेट इन इराक और अल-शाम और अल-दवाला अल-इस्लामिया फि अल-इराक वा-अल-शाम नामों से भी पहचाना जाता है. दरअसल इस्लामिक स्टेट इराक के आतंकी संगठन अल-कायदा से ही उपजा है. जब साल 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया तो आईएस अल-कायदा से दूर हो गया. इसके साथ ही दुनिया में खौफनाक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट पैदा हुआ. बनने- बिगड़ने के दौर में आईएस ने खुद को कई नाम दिए. मौजूदा आईएस ने साल 2006 में खुद को इस्लामिक स्टेट इन इराक कहा तो अप्रैल 2013 में खुद को इस्लामिक स्टेट इन सीरिया एंड लेवांत नाम डे डाला. फिर साल 2014 में एक बार फिर नाम बदला और ये इस्लामिक स्टेट हो गया. इसी साल आईएस का अल-क़ायदा से रखा गया रहा-सहा राब्ता भी खत्म हो गया. फरवरी 2014 में अल-कायदा ने इस्लामिक स्टेट से अपना पल्ला झाड़ लिया था. आईएस यहां से और तेजी से अपनी सक्रियता बढ़ाने लगा और उसने पूरे जोर-शोर से इराक और सीरिया में अपना परचम लहराने के लिए खलीफा शासन का ऐलान कर डाला. यहीं वो साल था जब आईएस से दुनिया में अपने पैर तेजी से फैलाने शुरू किए थे.
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