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इस मंदिर में मां भवानी दिन में तीन बार बदलती है स्वरूप

नवरात्रि के प्रारंभ होते ही हर कोई मां दुर्गा के भक्ति में डूब चुका है. जहां देखो वहां माता की जय जयकार हो रही है. कहीं महिलाएं गीत गा रही हैं, तो कहीं पंडाल बनाकर एक से एक भव्य मूर्तियों की स्थापना की जा रही है. हर जगह माता के भक्ति का गुणगान हो रहा है. वहीं बलिया की एक ऐसी भवानी है. जिनकी कृपा अनंत है. लोगों की इतनी गहरी आस्था जुड़ी है कि घंटो लाइन में लगकर मां के दर्शन की प्रतीक्षा करते नजर आ रहे हैं.

बताते चलें कि उचेडा की भवानी की कृपा बलिया जनपद में ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों में भी विख्यात है. नवरात्र शुरू होते ही माता के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ गई है. भवानी मंदिर के महंथ अजय गिरी बताते हैं कि मां हर किसी के मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. माता का स्वरूप तीन बार बदलता है. इनकी ख्याति दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. यह भवानी शिव के साथ जमीन के अंदर से आप रूपी प्रगट है.

ऐसे हुआ भवानी का निर्माण… रोचक है कहानी
महंथ अजय गिरी बताते हैं कि माता जमीन के अंदर से शिवलिंग के साथ निकली है. यह मंदिर सैकड़ो वर्ष पुराना है. हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी यहां महंथ रहती आ रही है. माता की कृपा अनंत है. यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है की मां के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मुरादे जरूर पूरी होती हैं. नवरात्र में खासतौर से यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ जाती है. सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं की लाइन लगी रहती है. यह स्थान शक्तिपीठों में से एक है.

तीन बार बदलता है इस भवानी का स्वरूप
मंदिर के पुजारी के अनुसार जमीन के अंदर से प्रकट हुई इस भवानी का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है. सुबह माता बालक के समान होती हैं. दोपहर में जवान के स्वरूप में आती हैं. और शाम को वृद्धावस्था में अपना स्वरूप परिवर्तित करती हैं. यह श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां घंटो लाइन में लगकर मां के दर्शन का श्रद्धालु इंतजार करते हैं.

यह बोले मंदिर में आए तमाम श्रद्धालु
आजमगढ़ से होकर के आई बिट्टो देवी ने कहा कि मुझे मां ने हर चीज दिया है. मैं कुछ दिनों पहले अपनी सखी के साथ इस मंदिर पर आई थी. तब से मां स्वप्न में कई बार आ चुकी मैं यहां आना चाहती थी लेकिन असमर्थता के कारण नहीं आ पाती थी. आज माता ने हमें अपने पास बुला ही लिया. हमें बहुत शांति की अनुभूति हो रही है. छोटी बच्ची अंशिका पाठक ने बताया कि हमारा कोई भाई नहीं था. यहां हमारे पूरे परिवार के लोग आते हैं. माता ने हमें भाई दिया है. वहीं तमाम लोगों ने कहा कि यह मां का ऐसा सच्चा दरबार है. जहां से कोई आज तक खाली नहीं गया. जो आया उसकी झोली मां ने भर दिया.

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