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चौबीस घंटे में 23 सेंमी बढ़ा घाघरा का जलस्तर

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Homeअपना जौनपुरआशाओं को बताया-कैसे पहचानें नवजात में खतरे के लक्षण

आशाओं को बताया-कैसे पहचानें नवजात में खतरे के लक्षण

  • सीएचसी जलालपुर में आशाओं को एचबीएनसी के बारे में दी जानकारी
  • हाथ धुलने, तापमान नापने, वजन करने और सांस अवरुद्ध होने पर देखभाल करने का ढंग बताया

जौनपुर धारा, जौनपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जलालपुर में १७ अक्टूबर से ९ नवम्बर तक आशा कार्यकर्ताओं के तीन बैच का प्रशिक्षण हुआ। इसमें उन्हें माड्यूल ६ और ७ के तहत प्रसव के बाद गृह आधारित नवजात की देखभाल के बारे में जानकारी दी गई। हर बैच में ३०-३० आशा कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण लिया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आलोक कुमार सिंह ने नवजात शिशु में खतरे के संकेतों को पहचान कर शिशु को सीएचसी रेफर करने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जब शिशु स्तनपान करने में असमर्थ हो, खानपान पर उल्टी कर दे, शरीर में ऐंठन हो, सुस्त/बेहोश हो तो यह स्थितियां खतरे का संकेत करतीं हैं। ऐसी स्थिति स्थिति में उसे तुरंत सीएचसी रेफर कर देना चाहिए। चिकित्साधिकारी डॉ. प्रवीन सिंह ने बताया कि नवजात के घर पहुंचने पर आशा कार्यकर्ता की सबसे पहली जिम्मेदारी साबुन और पानी से अपना हाथ धुलने की है। इसके लिए सुमन-के विधि का प्रयोग करना चाहिए। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार चौबे ने थमार्मीटर से नवजात का तापमान मापने, वजन मशीन के माध्यम से वजन करने, शिशु को कंबल में लपेटने का तरीका बताया। प्रशिक्षकों ने सांस अवरुद्ध हो जाने पर म्यूकस एक्सट्रैक्टर मशीन से बच्चे की नाक और मुंह साफ करने का ढंग बताया। साथ ही दस्त, बुखार आदि से बचाव व मलेरिया जैसे संक्रमण से उनका बचाव करने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने चार्ट के अनुसार बालक-बालिकाओं में कुपोषण के स्तर का पता लगाने के बारे में भी बताया। गैर सरकारी संगठन के संजय कुमार सिंह और दिनेश कुमार सिंह ने भी आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में जलालपुर, नेहरू नगर, केराकत और रामनगर की आशा कार्यकर्ता शामिल हुईं।

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