Tag: रामचरितमानस
जब एक-दूसरे को राम समझकर आपस में ही मर मिटी खर-दूषण की सेना
सीताजी को भयभीत देखकर श्रीरघुनाथजी ने लक्ष्मणजी को इशारा देकर कहा. लक्ष्मणजी ने बड़ी फुर्ती से उसको बिना नाक-कान की कर दिया. मानो उसके...
जब अंगद ने पूछा, एक को तो मेरे पिता कांख में दबाए थे, तू कौन सा रावण है?
पत्नी मंदोदरी के वचन कानों से सुनकर रावण खूब हंसा और बोला- अहो! मोह (अज्ञान) की महिमा बड़ी बलवान है. स्त्री का स्वभाव सब...