वाराणसी: भगवान शंकर के पूजन और विवाह का पर्व महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दिन शिवभक्त अपने अराध्य को प्रसन्न करने के लिए उन्हें उनकी प्रिय चीज अर्पित करते हैं. उन्हीं में से एक है बेलपत्र, जिससे भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बिना बेल पत्र के भगवान शंकर की पूजा अधूरी मानी जाती है. यही वजह है कि भक्त अपने अराध्या को बेलपत्र जरूर अर्पण करते हैं.
काशी के विद्वान स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि महाशिवरात्रि पर भगवान भोले को बेल पत्र चढ़ाकर कोई भी शिवभक्त उन्हें प्रसन्न कर उनका आर्शीवाद प्राप्त कर सकता है. उन्होंने बताया कि इस दिन भगवान शिव को तीन पत्ती वाले तीन शुद्ध बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए. यदि बेलपत्र पर कुमकुम या चंदन से ‘ॐ नम शिवाय’ लिखकर कोई श्रद्धालु उन्हें अर्पित करता है, तो उसे भगवान शिव के आशीर्वाद के साथ शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है. माना ये भी जाता है कि बेलपत्र की तीन पत्तियां ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक होती हैं. इसके अलावा बेलपत्र को त्रिशूल का प्रतीक भी माना जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय निकले विष का पान किया था. उस वक्त उन्हें विष के तपन से राहत के लिए देवताओं ने गंगा जल से अभिषेक के साथ बेलपत्र का सेवन कराया था. जिसके बाद विष का प्रभाव कम हुआ. बस तभी से भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय हो गया. स्वामी कन्हैया महाराज ने बताता की भगवान शंकर को कभी भी टूटा या फिर खंडित बेलपत्र का अर्पण नहीं करना चाहिए. इसके अलावा गंदे या 3 पत्ती से कम वाले बेलपत्र को भी शिवलिंग पर चढ़ाने से परहेज करना चाहिए.