- प्रतिदिन नालों का गन्दे पानी गिरने से भी दूषित हो रही गोमती नदी
- करोड़ों की लागत वाली प्रोजेक्टर के कार्य भी हो रहे अधूरे
जौनपुर धारा,जौनपुर। गोमती को स्वच्छ बनाने के लिए तमाम अभियान चलाए गए, बीच-बीच में स्वयं सेवी संस्था लोगों को जागरूक भी करती रहती हैं। घाटों को साफ-सुथरा रखने की सीख के साथ पौधरोपण भी किए गए।
नगर के सद्भावना पुल से सटे नदी के दोनों छोर के घाटों के सुंदरीकरण पर प्रशासन ने काफी जोर दिया, तमाम काम भी कराए गए। लेकिन घाटों पर पैâली गंदगी सुन्दरीकरण कार्यों पर ग्रहण साबित हो रही है। गंदगी से घाटों का किराना पटा है। बता दें कि गोमती नदी की पवित्रता अब एक बड़ा सवाल बन चुकी है। क्योंकि जौनपुर के घाटों से हर रोज नालों का गंदा पानी गिरता है, जिससे नदी का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। स्वच्छ गोमती की उम्मीदें सरकार की सीवर परियोजना पर टिकी थीं, लेकिन पांच साल बाद भी यह अधूरी है। शहर में प्रतिदिन नालों का गंदा पानी गोमती में गिरता है, जिससे नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। स्वच्छ गंगा मुहिम के बावजूद, तूतीपुर घाट, बजरंग घाट, हनुमान घाट, सहित अन्य घाटों से सटे नालों का गंदा पानी सीधे गोमती में प्रवाहित हो रहा है। नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन की असफलता के कारण इस समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया है। उस पर गोमती के किराने पैâली गंदगी की समय पर सफाई भी नहीं कराई जाती है, जिससे गंदगी का अंबार लगा रहता है।
सीवर प्रोजेक्ट के कार्य भी अधूरे अवस्था में
लगभग पांच साल पहले गोमती में गिरते गंदे पानी को रोकने के लिए करोड़ाें के लागत से सीवर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। यह प्रोजेक्ट 2022 तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ है। स्थानीय लोग समाधान में देरी पर सवाल उठाते रहतें हैं, लेकिन ठेकेदारों पर उसका खासा असर नहीं पड़ता है।