जौनपुर धारा,जौनपुर। नवरात्र के 9वें दिन हवन पूजन के साथ शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा को विदाई दी गयी। शक्ति आराधना के प्रतीक के रूप में कन्याओं का पूजन किया गया। लोगों ने अपने-अपने घरों में कन्याओं को स्वादिष्ट भोजन कराया गया। इसके पश्चात प्रसाद वितरण सम्पन्न हुआ। दुर्गा पूजा पण्डाल एवं देवी के मंदिरों में भी मंत्रों की ध्वनि गुंजायमान हो रही।
नगर के शीतला धाम चौकियां में नवरात्र की महानवमी के अवसर पर हजारों भक्तों की उपस्थिति में मंदिर परिसर में हवन पूजन का आयोजन किया गया। इसके साथ ही समस्त पूजा समितियों ने पण्डालों में हवन पूजन किया गया। महानवमी पर मंदिर, पण्डाल व घरों में हवन पूजन के उपरान्त 9 कुंवारी कन्याओं को विधि-विधान से भोज कराया गया। हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार सद्भावना पुल स्थित नव दुर्गा मन्दिर में कुंवारी कन्याओं को नवमी के दिन माँ के नवों रूपों का स्वरूप मानकर भोज कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पुण्य को करके सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और माँ की कृपा भक्तों पर बनी रहती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा ने महिशासुर नामक राक्षस का वध करके देवताओं को उसके कष्टों से मुक्त किया था। महिशासुर ने भगवान शिव की आराधना करके अद्वितीय शक्तियां प्राप्त कर ली थीं और तीनों देव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश भी उसे हराने में असमर्थ थे। महिशासुर राक्षस के आंतक से सभी देवता भयभीत थे। उस समय सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियों को मिलाकर दुर्गा को अवतरित किया। अनेक शक्तियों के तेज से जन्मीं माता दुर्गा ने महिशासुर का वध कर सबके कष्टों को दूर किया।

घरों एवं पूजा पण्डालों में हवन किया गया। इसी के साथ नवरात्र का समापन हो गया। नवरात्र व्रत कर रहे भक्तों ने कन्या पूजन कर व्रत का पारायण किया। नवरात्रि में प्रत्येक दिन देवी आराधना के साथ-साथ कम से कम एक कन्या को ऐसी उपयोगी वस्तु किया जाता है, जिससे कन्या का अंतर्मन स्वतरू प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद दे। कन्याएं मां दुर्गा का भौतिक रूप हैं। इनकी श्रद्धाभक्ति से पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। कन्या पूजन आप अष्टमी को करें या नवमी को, दो वर्ष से दस वर्ष तक की आयु वाली नौ कन्याओं को ही शामिल करें और साथ ही एक बटुक का पूजन करें। शारदीय नवरात्रि के आठ दिन पूरे हो चुके हैं, और अब महानवमी पर देवी मां के नौवें स्वरूप की पूजा के साथ मां शक्ति की आराधना का महापर्व नवरात्रि का समापन हो गया। नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की उपासना और आराधना विधि-विधान के साथ की जाती है। दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शांभवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है।

एक कन्या के पूजन से ऐश्वर्य, दो कन्याओं के पूजन से भोग व मोक्ष, तीन कन्याओं के पूजन से धर्म, अर्थ व काम, चार कन्याओं के पूजन से राज्यपद, पांच कन्याओं के पूजन से विद्या, छह कन्याओं के पूजन से षष्टकर्म की सिद्धि, सात कन्याओं के पूजन से राज्य, आठ कन्याओं के पूजन से संपदा और नौ कन्याओं के पूजन से सर्वकार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। कन्या पूजन के दौरान सर्वप्रथम कन्याओं के पैर धोकर उनके मस्तक पर रोली-चावल से टीका लगाकर हाथ में कलावा (मौली) बांधकर, पुष्प या पुष्पमाला अर्पित करें। फिर कन्याओं को चुनरी, हलवा, पूरी, चना और दक्षिणा देकर श्रद्धापूर्वक उनको प्रणाम करना चाहिए। कुछ लोग अपनी परंपरा के अनुसार कन्याओं को शृंगार की वस्तुएं भी भेंट करते हैं। ताड़तला निवासी व्रती सरोज सोनी ने नौ दुर्गा के स्वरूप बालिकाओं का पांव पूजन कर भोजन कराकर आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होने बताया कि विगत वर्षों से घर में कलश रखकर नौ दिन नौ देवियों की अराधना करतीं है, जिसके उपरान्त घर में कन्या पूजन की रस्म भी पूरी की जाती है।
Jaunpur Dhara News : विसर्जन स्थल तैयारियां पूरी
जौनपुर। नगर के सद्भावना पुल स्थित विसर्जन घाट पर दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शक्ति कुण्ड की खोदाई की गई है। इसकी तैयारी पूरी करने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने निरीक्षण कर विसर्जन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। विसर्जन की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये है तथा किसी प्रकार की कोई कमी न रह जाए इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अधिकारियों को निर्देश है कि ध्यान रखा जाय परंपरागत तरीके से ही प्रतिमा विसर्जन हो। कुण्ड की गहराई को देखते हुए लकड़ी के खंभे लगवा दिए जिससे तालाब एक घेरे के रूप में हो जाए। वहीं पुल के ऊपर भी सूरक्षा के दृष्टि से बांस-बल्ली बांध दिया गया है।