- लम्बे समय इंतेजार के बाद हुआ चांद का दीदार, फिर सुहागिनों ने किया जलपान
जौनपुर धारा, जौनपुर। करवा चौथ व्रत के माध्यम से महिलाओं ने निराजला व्रत रहकर चांद का दीदार किया और फिर अपने पति रूपी सूर्य की सलामती के लिए मंगलकामनाएं की। सुहागिनों ने बहुप्रतीक्षित निर्जला करवा चौथ का व्रत रखकर पति की सलामती एवं उन्नति की कामना की। शाम को चांद निकलने से पहले पूजन-अर्चन किया और चंद्र दर्शन के बाद सुहागिनों ने व्रत तोड़ा और पति व अपने बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके एवज में पति ने अपनी पत्नी को उपहार भी दिया। करवा चौथ पर सुहागिनों ने रंग-बिरंगे परिधान पहन, आभूषण पहन कर तथा विविध प्रकार के श्रृंगार कर जोड़े में करवा की पूजा की। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार चौथ के दिन करवा की पूजा सुहागिनें अकेली नहीं कर सकती हैं। दो सुहागिनें आपस में करवा बदलती हैं और देवी से अपने अखंड सुहाग की रक्षा के लिए उनका पूजन अर्चन करती हैं। करवा चौथ का व्रत रख रही महिलाओं का मानना है कि करवा चौथ पर चंद्रमा उदय होने के बाद सुहागिनें इनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं तथा चलनी से चांद का दीदार करती हैं। उनका कहना है कि इसके बाद व्रत तोड़ते हुए पति के हाथों से ही जल और फल ग्रहण करती हैं। बाद में करवा चौथ के अवसर पर तैयार विविध व्यंजन खाती हैं। करवा चौथ पर महिलाओं ने परंपरा के अनुसार सुबह गणेश भगवान, शिवजी एवं मां पार्वती की पूजा की। महिलाओं का मानना है कि इससे अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति की प्राप्ति होती है। सुहागिनों ने चंद्रमा की पूजा के बाद पति को प्रणाम किया। जिस के बदले पति ने अपनी पत्नी को आशीर्वाद दिया। पतियों ने पत्नी को जल पिलाकर व मिष्ठान खिलाकर आशीर्वाद देने के साथ उपहार भी दिये।