- गुणवत्ता विहिन तरीके से की गई मरम्मत की जताई जा रही आशंका
जौनपुर धारा, जौनपुर। जौनपुर में बारिश का सिलसिला अभी सही से शुरू ही नहीं हुआ और पुल का किनारा टूटने की घटना आम हो गई हैं। हाल ही में जौनपुर के गोमती नदी पर बने शास्त्री पुल की मरम्मत हुआ था और फिर से टूटने की तस्वीरें सामने आई हैं, यह स्थिति प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है। शहर में गोमती नदी पर बने शास्त्री पुल की कमजोर दशा के बाद पुल की मरम्मत प्रस्ताव पास हुआ था। जिसके बाद लम्बे समय तक पुल से बड़े वाहनों का आवागमन रोक कर मरम्मत का कार्य शुरू किया गया था। जौनपुर-आजमगढ़ जिले को जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित गोमती नदी पर बने पुल के पूनः दोनो छोर से टूटने की शुरूआत मरम्मत में गुणवत्ता की कमी का प्रमाण बन रहा है। विगत कुछ वर्ष पुर्व पुल की जाँच करने आई टीम ने पुल के जर्जर होने व मरम्मत की सलाह दी थी। जिसके बाद पुल के मरम्मत का प्रस्ताव पास कर कार्य शुरू कर दिया गया। लेकिन कार्यदायी संस्था व प्रशासन ने इसकी मरम्मत को गंभीरता से नहीं लिया।

शास्त्री पुल का शिलान्यास चार जनवरी 1977 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की मौजूदगी में संजय गांधी ने किया था। पुल की अवस्था जर्जर होता देख प्रशासन की रिपोर्ट पर मरम्मत का कार्य किया गया और लम्बे समय बाद पुल से बड़े वाहनों की आवाजाही बहाल किया गया। आजमगढ़ मार्ग पर स्थित गोमती नदी पर बना शास्त्री पुल जर्जर स्थिति में था। पुल की मरम्मत 13 अप्रैल से शुरू हो गई थी। सुरक्षा के मद्देनजर इस मार्ग पर एक माह के लिए बड़े वाहनों के आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। आपको बताते चलें कि छह महीने तक पुल से अवागमन बंद कर दिया गया था। मरम्मत के बाद उसे दोबारा चालू किया गया। जौनपुर-आजमगढ़ मार्ग पर स्थित गोमती नदी पर बने शास्त्री पुल की मरम्मत कार्य पूर्ण होने के पश्चात ही करीब एक माह तक बड़े वाहनों पर रोक थी। मरम्मत कार्य पूर्ण होने के बाद बड़े वाहनों का आवागमन शुरू तो कर दिया गया, लेकिन पुल मरम्मत के दौरान गुणवत्ता की कमी के कारण अब फिर से पुल के दोनो छोर का हिस्सा लटक कर गिर गया। हांलाकि घटना की जानकारी होते ही तुरन्त पुल के किनारे-किनारे से बोरी में मिट्टी आदि रखकर रास्ते को बैरिकेट कर दिया गया है। लेकिन वहीं सवाल यह भी उठता है कि आखिर लम्बे समय तक चले मरम्मत कार्य के बाद इस तरह की घटनाओं का जिम्मेदार कौन है। जिस पुल की मरम्मत हुए अभी साल भर भी नहीं बीता उसके दोनो छोर से टूटने की दशा में पुल की मजबूती क्यों न संदेह किया जाय। हांलाकि मामला जो भी हो जिला प्रशासन को पूनः जाँच कराकर पुल की मरम्मत गुणवत्ताहीन होना अति आवश्यक है। जिससे बिहार जैसी घटना जौनपुर में न होने पाए।