- संविदा कर्मियों की बदौलत होती निर्बाध्य बिजली आपूर्ति
जौनपुर धारा, जौनपुर। वीआईपी से लेकर आम आदमी तक को निर्बाध बिजली सप्लाई करने में अहम भूमिका निभाने वाले संविदा श्रमिक लाइनमैन कर्मचारियों से उपकेंद्र पर आठ घंटे काम करने का दाम 9 हजार रुपये प्रतिमाह मिलता है, जबकि वहीं सरकारी लाइनमैन को काम के बदले लगभग 35 से 40 हजार रूपये प्रतिमाह मिलता है। लेकिन मजे की बात तोय यह है कि सरकारी लाइनमैनों को खम्बे पर चढ़ने को तो फाल्ट स्थल पर पहुँचने तक से भी भरी परहेज रहता है। जमीनी हकीकत ये है कि यदि संविदा कर्मचारी काम न करें तो विद्युत व्यवस्था को पटरी पर लाना कदा भी सम्भव नहीं होगा। वर्तमान में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाने वाले बिजली विभाग के कर्मियों की मांगों का स्थाई समाधान न तो सरकार के पास है और न ही कंपनी प्रबंधन के पास, स्थिति तो ये हो चुकी है कि अपनी मांगों के लिए बिजली कर्मी इतने ज्ञापन-आवेदन देते हैं कि उन्हें वेतन से ज्यादा आश्वासन मिलते रहतें हैं। बता दें कि उपकेंद्र पर काम करने वाले कर्मचारियों को महीन के 30 दिन काम करना पड़ता है। संविदा कर्मचारियों की मेहनत के चलते उपकेंद्र पर दर्ज होने वाली शिकायतों का समय से निराकरण हो पाता है। लाइन चालू करना, राजस्व वसूली, कनेक्शन काटना और जोड़ना, ब्रेकडाउन, बिजली लाइन के आसपास आए पेड़ों की कटाई-छटाई का काम भी इन्ही संविदा कर्मियों से लिया जा रहा है। प्रत्येक फीडर पर लाइनमैन, पेट्रोलमैन और श्रमिक शामिल होने का प्रावधान है, जिसमें गैंग बनाकर तीन शिफ्टों में कार्य करने की अवधि आठ घंटे होती है। 24 घंटे में तीन शिफ्ट सुबह 8 से शाम 4 बजे, शाम 4 बजे से रात 12 बजे और 12 बजे से सुबह 8 बजे तक होती है। जिसमे 9000 प्रति महीने अल्प वेतन भोगी संविदा के बहादुर कर्मचारी 47डिग्री तापमान में भी तपते खम्बे में खंभे पर चढ़कर बिजली आपूर्ति बहाल कर क्षेत्र की जनता सहित लोगों को निर्बाध्य बिजली उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाती है। हैरत की बात तो यह है कि 9000 पगार पाने वाले कर्मचारी हर मौसम में जिन्दगी दांव पर लगाकर निर्बाध्य बिजली आपूर्ति के लिये जूझते रहतें हैं, लेकिन वहीं लगभग 40 हजार पगार पाने वाला सरकारी लाइनमैन मौके पर पहुंचने से भी गुरेज करता है, और खुद जेई का पॉवर रखते हुए लाइनमैनों से मनमाफिक काम लेता रहता है। 9000 महीना पाने अल्प वेतन भोगी संविदा के बहादुर कर्मचारी अत्यधिक गर्मी में भी चिलचिलाते खंबे पर पिघलती हुई बिजली वायर के बीच दोपहर भर काम करता हुआ पाया जाता है। उसपर भी कुछ संविदा कर्मियों से काम तो लिया जा रहा है लेकिन लगभग साल भर से उनका वेतन तक नहीं मिल रहा है। सिपाह फीडर पर तैनात लाइन स्टाफ विनय कुमार सिंह, अशोक राव, अफरोज अहमद ने अपना दर्द बयान करते हुए बताया कि काम के हिसास से वेतन बहुत कम लगता है। उसपर भी हड़ताल में शामिल होने का हवाला देते हुए हमारे कुछ साथियों का वेतन पिछले एक साल से नहीं मिल रहा है। यही वेतन हमारे रोजी-रोटी का मुख्य जरिया है।