झांसी: मॉडर्न वीरांगना सीरीज में अगला नाम झांसी की आकांक्षा रिछारिया का है. आकांक्षा अभी तक झांसी की 3500 से अधिक लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देकर उन्हें ‘मणिकार्णिका’ बना चुकी हैं. उनका यह काम आज भी जारी है. आकांक्षा बताती हैं कि जब वह छठी कक्षा में थी, तो उनकी मां ने उन्हें जूड़ो-कराटे की ट्रेनिंग के लिए भेजा. वह अपनी तीन बहनों के साथ कराटे की ट्रेनिंग लेती थी. इसके बाद एनसीसी कैडेट बनने के बाद यह काम जारी रहा. वह राष्ट्रीय स्तर तक जूडो कराटे खेलने के लिए गई.
कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद आकांक्षा का कराटे से नाता टूट गया. वह अपने करियर और परिवार पर ध्यान देने लगीं. बहुत सालों बाद एक ऐसा वाक्या हुआ, जिसने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया. उन्हें अपनी कॉलोनी के बाहर एक लड़की बहुत बुरी स्थिति में बैठी हुई मिली. उस लड़की के साथ उसके परिवार के ही किसी व्यक्ति ने कुकर्म कर दिया था. इसके बाद आकांक्षा ने तय किया कि वह लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना शुरू करेंगी. उन्होंने इस अभियान को ‘मणिकर्णिका’ नाम दिया. इस अभियान से वह अभी तक 3500 से अधिक लड़कियों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं.
शारीरिक और मानसिक तौर से मजबूत बनें महिलाएं
कुछ समय बाद आकांक्षा ने इस अभियान में थोड़ा बदलाव किया और इस अभियान का नाम बदल कर मन से मणिकर्णिका रख दिया. वह कहती हैं कि पहले वह लड़कियों को शारीरिक ट्रेनिंग तो रही थी, लेकिन लड़कियों में अभी भी हिम्मत नहीं आ पा रही थी. इसके बाद उन्होंने लड़कियों को जागरूक करने का काम भी शुरू किया और उन्हें मन से मजबूत करने के लिए काम करने की शुरुआत कर दी. आकांक्षा कहती हैं कि हर लड़की और महिला को मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से मजबूत होना चाहिए. हर समस्या से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए और अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक रहना चाहिए.