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अधिक से अधिक पात्र लाभार्थियों से करायें आवेदन : जिलाधिकारी

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Homeउत्तर प्रदेशहीरा की मौत हुई तो मोती के साथ तांगे में जुड़ गया...

हीरा की मौत हुई तो मोती के साथ तांगे में जुड़ गया सुरेश

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद से दिल को छू लेने वाली खबर आई है। सड़क पर नंगे पैर, कंधे पर जुआ और सड़क पर बैलों का तांगा खींचते सुरेश पर वहां से गुजर रहे सभी लोगों की नजर पड़ी तो कोई उसे देखने के लिए रुक गया तो कोई उससे कारण पूछने लगा।

कारण पता किया तो पता चला कि उसके पास मुंशी प्रेमचंद की कहानी के हीरा मोती जैसी बैलों की जोड़ी थी, लेकिन एक बैल की बीमारी से मौत हो गई। अब तांगा लेकर किसी काम से मंडावर जाना हुआ तो एक बैल का जुआ खुद सुरेश ने अपने कंधे पर रख लिया। परिवार का ही एक व्यक्ति बैल का रस्सा हाथ में थाम तांगे पर बैठ गया। एक तरफ बैल, दूसरी तरफ सुरेश के कंधे पर रखा जुआ हर किसी का ध्यान खींच रहा था। इस घटना की तस्वीरें जहां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। वहीं हर कोई सुरेश के इस पशुप्रेम को देखकर हर कोई उसकी इस फैसल पर उसे दाद दे रहा है। यह कोई शौक नहीं, बल्कि मजबूरी थी। जहां एक तरफ सड़क पर लग्जरी कारें चल रही हों, वहां तांगे में एक तरफ बैल और एक तरफ इंसान जुड़ा नजर आए तो यह कहीं न कहीं मन को कचोटता है। मंगलवार को मंडावर-चंदक के बीच एक तांगा ऐसा ही दिखाई दिया, जिसमें एक तरफ एक युवक जुआ थामे हुए था और नंगे पैर बैल के साथ-साथ आगे बढ़ रहा था। उससे जुए को थामने की मजबूरी पूछी तो बताया कि बीमारी में एक बैल मर गया, इसलिए कहीं जाना हो तो वह खुद एक जुआ अपने कंधे पर रख लेता है। उसने अपना नाम सुरेश बताया और कहा कि वह थाना नांगल क्षेत्र के गांव छिंदोक में रह रहे हैं। घुमंतू परिवार से हैं, इसलिए अलग-अलग जाने के लिए आज भी बैल बुग्गी, तांगे का इस्तेमाल करते हैं। उसने कहा कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए दूसरा बैल अभी तक नहीं खरीद पाए हैं। एक बैल गाड़ी को नहीं खींच सकता, इसलिए उसके साथ गाड़ी खिंचवानी पड़ती है।

किसानों के लिए कृषि यंत्र बनाकर बेचता है सुरेश
यूं तो सुरेश ने अपने बारे में ज्यादा बताने से इन्कार कर दिया, लेकिन इतना जरूर बताया कि इनकी रोजी रोटी इलाके के किसानों के कृषि यंत्र बनाना और उनकी मरम्मत करना है। इनका घर इनकी बैल-बुग्गी ही है। जहां रोजी-रोटी मिल जाती है, वहीं बुग्गी रुक जाती है। इन्हीं परिवारों में एक सुरेश का परिवार भी है। गरीबी तो खैर इनकी नियति है, लेकिन सुरेश पर इसकी मार कुछ ऐसी पड़ी कि एक बैल बीमारी के कारण मर गया। आर्थिक तंगी के कारण दूसरा बैल नहीं खरीद पाया। अब अगर आप इनकी रोज के क्रियाकलाप देखेंगे तो आपको अंदाजा लगेगा कि बैल इनकी जिंदगी में कितना महत्व रखते हैं।

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