- उपचार के लिए वाराणसी ले जाते समय घायल ने तोड़ दिया था दम
जौनपुर धारा, खुटहन। प्रकृति के सभी जीवधारियों में मानव सर्वोत्कृष्ट रचना मानी जाती है। लेकिन इंसान कब, कहां और क्या गुल खिला दे, शायद यह उसे बनाने वाला भी नहीं समझ सकता। दुर्घटना के बाद एक ब्यक्ति बेहोशी की हालत में सड़क पर पड़ा जीवन मौत से लड़ रहा था। आसपास के कुछ लोग वहां पहुंचते हैं। कुछ समय बाद 112 पुलिस के जवान भी आ जाते हैं। इस बीच घायल की जेब में रखा उसका पर्स जिसमें दस हजार नकद और मोबाइल गायब हो जाता है। उपचार को ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत भी हो जाती है। बावजूद इसके उस संवेदनाहीन की नैतिकता इस कदर मर चुकी है कि घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी न तो पैसे वापस किया और न ही मोबाइल। मृतक के पिता ने इसको लेकर थाने में तहरीर भी दिया है। कहाकि पैसे न मिले तो कोई बात नहीं लेकिन मोबाइल मिल जाए तो बहुत अच्छा है। मामला खुटहन गांव निवासी उदयशंकर दूबे के जवान पुत्र रितेश का है। वह शादी ब्याह में जयमाल का मंडप सजाने का काम करता था। गत 22 फरवरी को वह विवाह के एक समारोह में मंडप सजाया था। सारी रस्में पूरी होने के बाद उसने रात में ही वधू पक्ष से दस हजार रुपए लिया। वहां से वह अपनी बाइक से वापस घर लौट रहा था। सब्जी मंडी में अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दिया। वह सड़क पर गिरकर बेहोश हो गया। मौके पर आस पास के कुछ लोग पहुंच गए। घटना की सूचना पर 112 पुलिस भी पहुंच गयी। स्वजन भी घटनास्थल पर पहुंच उसे उपचार हेतु सीएससी ले गए जहां से उन्हें जिला चिकित्सालय भेज दिया गया। वहां से बीएचयू ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। बाद में स्वजन उसकी मोबाइल तलाश करने लगे। तब पता चला कि उसकी जेब में दस हजार रुपए भी थे। पीआरबी पुलिस और प्रत्यक्षदर्शी सभी ने इन्कार कर दिया। मामले में चंद रुपये व मोबाइल का गायब होना बहुत मायने नहीं रखता। यह घटना एक आइना है कि इंसान का मानवीय मूल्य, नैतिकता और संवेदनशीलता किस कदर गिर चुका है। घटना साफ साफ इसी का एहसास करा रही है।