- चार गांवों में संभावित मरीजों पर रखी निगरानी, दो सप्ताह से नहीं मिले हैं मरीज
- 1,773 गोष्ठियों के जरिए लाई जागरूकता और 11 मरीजों का किया उपचार

जौनपुर धारा, जौनपुर। स्वास्थ्य विभाग की आक्रामक रणनीति के चलते जनपद में स्क्रब टायफस बीमारी फिलहाल नियंत्रित हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि दो माह से कोई मरीज नहीं मिला है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. लक्ष्मी सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य टीम ने अन्य दो विभागों के साथ मिलकर लगातार दो माह निगरानी की। फिर चार गांवों में सर्वेक्षण अभियान चलाया और 35 संभावित मरीजों के ब्लड सैंपल लेकर जांचें। इस प्रयास से जिले में कुल 11 लोगों में स्क्रब टायफस का पता चला। इसके बाद झाड़ियों की सफाई, एंटी लार्वा छिड़काव कराने के साथ रोडेंट रैट की बिलें बंद करावाई। 1,773 गोष्ठियों के जरिए लोगों में जागरूकता फैलाई।
सीएमओ ने बताया कि सफलतापूर्वक दो इनक्लूबेसन पीरियड पूरा कर लेने के बाद अब स्क्रब टायफस का मामला बंद करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इनक्लूबेसन पीरियड वह समय होता है जितने दिन तक वायरस से प्रभावित होने के बाद भी मरीज में रोग के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। ओरिएन्टेना सुसुगैमी बैक्टीरिया से प्रभावित होने के बाद भी मरीज के शरीर में स्क्रब टायफस के लक्षण दिखने में एक सप्ताह का समय लग जाता है। जनपद में 27 नवम्बर को मछलीशहर में 9 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए। इसमें एक व्यक्ति के पाजिÞटिव होने का पता तीन दिसम्बर को बीएचयू से मिली रिपोर्ट में चला। तब से दो इनक्लूबेसन पीरियड बीत चुके हैं। इसलिए अब इस मामले को बंद करने की प्रक्रिया चल रही है।
कैसे फैलती है बीमारी: ओरिएन्टेना सुसुगैमी संक्रमित किलनी जब किसी को काटती है तो उसके रक्त को ओरिएन्टेना सुसुगैमी से संक्रमित कर देती है। काटने के एक सप्ताह तक (इनक्लूबेसन पीरियड) पता नहीं चलता। उसके बाद बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं। प्रभावित व्यक्ति को ठंड और कम्पन के साथ बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द, कभी-कभी शरीर पर लाल चकत्ते निकल आते हैं। इसे पहचानने का सबसे अच्छा तरीका किलनी के काटने वाले स्थान पर काला निशान बन जाता है। बीमारी के कारक चारों वातावरणीय परिस्थितियों की श्रृंखला तोड़ने के लिए बीमार लोगों का इलाज कर बैक्टीरिया खत्म करना, झाड़ियों की साफ-सफाई, चूहों के बिलों को बंद कराकर इनके वाहक किलनी (चीगर) और चूहों पर नियंत्रण करना जरूरी होता है।