जौनपुर धारा, सुल्तानपुर। कादीपुर क्षेत्र में बिजली के बिल कैशबुक में अंकित करने और परमानेंट कनेक्शन काटने के नाम पर भारी घोटाला हुआ है। करीब 72 लाख का घोटाला संज्ञान में आ जाने के बाद पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन ने इस मामले में जांच टीम गठित कर दी है। पांच सदस्यीय यह ऑडिट टीम वर्ष 2017 से लेकर 2023 तक के बिलों की जांच करेगी। इस जांच से और भी बड़ा घोटाला सामने आने की आशंका है।
इस घोटाले का पर्दाफाश करीब तीन वर्ष पहले एक रिटायर्ड अवर अभियंता भगेलू प्रसाद ने किया था। उन्होंने कई सारे साक्ष्यों के साथ अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी और कहा था कि केवल कादीपुर में कैशबुक में ही 72 लाख रुपये का घोटाला किया गया है। शपथपत्र पर शिकायत किए जाने के बावजूद इस मामले में अधिकारियों ने इस घोटाले को दबा दिया क्योंकि यदि मामले में कार्रवाई की नौबत आती तो मौजूदा व पुराने कई अधिकारी इसकी कार्रवाई की जद में आ जाते। जब अधिकारियों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की तो जेई भगेलू प्रसाद इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए। इस बीच उप्र पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल बन गए। जब उनके संज्ञान में यह मामला आया तो प्राथमिक तौर पर उन्हें इस शिकायत में सच्चाई नजर आई। इसलिए उन्होंने इस मामले में पांच सदस्यीय स्पेशल टीम बनाकर बीते छह सालों के बिल की जांच करने का जिम्मा सौंपा है। यह सूचना आते ही जिले के अधिकारियों में हड़कंप है। हालांकि अधीक्षण अभियंता एके सिंह कहते हैं कि अभी इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। वे खुद भी इस मामले पर नजर रखेंगे ताकि यदि गड़बड़ हुई है तो कोई दोषी बच न पाए।
पूरे जिले में हुआ है करोड़ों का घोटाला
जिले में बिजली विभाग जिस घाटे से जूझ रहा है, उसके पीछे असल में यही घोटाला है। बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कई सालों में परमानेंट डिस्कनेक्शन (पीडी) के नाम पर बड़ा खेल किया है। इसी तरह ज्यादा बिल वसूलकर कैशबुक में कम रकम अंकित की गई है। इस जांच से यदि कादीपुर क्षेत्र की गड़बड़ी सामने आ जाती है तो जिले के अन्य हिस्सों में भी इसकी जांच कराई जा सकती है।
इस तरह किया जाता है गोलमाल
यदि किसी उपभोक्ता का बिजली बिल एक लाख रुपये हो गया है तो बिजली विभाग के कर्मचारी उसका कनेक्शन स्थायी रूप से काटने के नाम पर उससे करीब एक चौथाई रकम लेते हैं। उसमें से कुछ हजार रुपये ही विभाग में जमा किए जाते हैं और बाकी रकम अधिकारी-कर्मचारी मिलकर डकार जाते हैं। इसमें विभाग का भारी घाटा होता है। उधर, परमानेंट डिस्कनेक्शन के बाद उसी व्यक्ति के परिवार में किसी दूसरे के नाम पर कनेक्शन कर दिया जाता है।
- यह बेहद गंभीर विषय है। इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय स्पेशल टीम गठित की गई है। इस गड़बड़ी के जो भी दोषी पाए जाएंगे, सभी के खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
- आशीष गोयल, चेयरमैन, यूपीपीसीएल