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Homeअपना जौनपुरसुलझ गयी आशुतोष हत्याकाण्ड की पहेली

सुलझ गयी आशुतोष हत्याकाण्ड की पहेली

  • नासिर-अर्फ़ी निकले बेगुनाह, प्रोपर्टी डीलर ने दी थी सुपारी

जौनपुर धारा, खुटहन। पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव हत्याकाण्ड की पहेली सुलझ गयी है। आशुतोष को मारने वाले शूटर ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि प्रॉपर्टी डीलर सिकंदर आलम ने आशुतोष की हत्या की सुपारी दी थी। पुलिस के मुताबिक पारा कमाल गांव निवासी सिकंदर आलम शातिर और मनबढ़ अपराधी है। इस दुस्साहसिक हत्याकाण्ड के खुलासे के बाद बड़ा सवाल यह है कि एफआईआर में सबरहद गांव निवासी नासिर जमाल और उनके भाई अर्फी को नामज़द क्यों किया गया। इन लोगों का नाम डालने के पीछे किसकी साज़िश थी। हत्याकांड में इन दोनों का नाम आना इलाके में किसी को हज़म नहीं हो रहा था। लोग पहले से दबी जुबान में इसे साज़िश बता रहे थे। बीते माह इमरानगंज बाजार में हुई आशुतोष की हत्या पुलिस के लिए पहेली बनी हुई थी। चार लोगों के खिलाफ नामज़द मुकदमा दर्ज होने के बावजूद पुलिस को यकीन था कि कहानी कुछ और ही है। एसपी अजय पाल शर्मा ने जांच के लिए टीम बनाई और हर दिन इसका फॉलोअप खुद किया। जांच में पता चला कि आशुतोष को गोली मारने वाला शातिर शूटर प्रिंस सिंह है। तीन दिन पूर्व पुलिस मुठभेड़ में प्रिंस मारा गया और घटना में शामिल उसका साथी नीतीश राय भी अगले दिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया। नीतीश ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि जमीनी विवाद को लेकर आशुतोष और पाराकमाल गांव निवासी सिकन्दर आलम में टशन थी। सिकंदर ने ही जेल में बंद अपने दोस्त हाशिम की मदद से शूटर प्रिंस से सम्पर्क किया और सुपारी के रूप में 10 लाख में सौदा तय हुआ। आशुतोष हत्याकांड का खुलासा होने और शातिर शूटर प्रिन्स के मुठभेड़ में मारे जाने से लोगों ने राहत की सांस ली है। लोग एसपी अजय पाल शर्मा द्वारा ईमानदारी से करवाई गई। जांच की प्रशंसा कर रहे हैं। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि मृतक के भाई एफआईआर में गांव के ही नासिर जमाल और अर्फ़ी को नामज़द क्यों किया। जबकि सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में अर्फ़ी घटना के समय गांव में दिखाई देते हैं। फिर भी एफआईआर में उन्हें घटना स्थल पर शूटरों को साथ होना क्यों दिखाया गया। पूरा क्षेत्र जानता था कि अर्फी और अशुतोष अच्छे दोस्त थे। फिर किसके इशारे पर इस हत्या में अर्फ़ी को फंसाने के षणयंत्र रचा गया। नासिर और अर्फ़ी का नाम डालने के पीछे किसकी साज़िश थी। सवाल यह भी उठ रहा है कि शूटर के बयान और जांच में नासिर तथा अर्फ़ी की कोई भूमिका इस घटना में न होना साबित होने के बाद यह दोनों लोग अब बाइज्जत बचेंगे या उन्हें अभी और अग्नि परीक्षा से गुज़रना होगा।

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