- अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही आदि गंगा गोमती
- जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी नहीं दे रहें ध्यान
जौनपुर धारा, जौनपुर। आदि-गंगा कही जाने वाली गोमती नदी आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है। घाटों पर सुन्दरीकरण का कार्य तो हुआ है लेकिन गोमती की सफाई अभी तक नहीं हो पायी है। सरकार नदियों की सफाई के लिए कई योजनाएं चला रही है और इसके लिए प्रतिबद्धता भी जताती रही है, लेकिन जनपद में गोमती नदी की सफाई का बुरा हाल है। हालांकि सरकार की तरफ से घाटों को हाईटेक बनाने के लिए करोणों रूपये खर्च किए जा रहे हैं लेकिन यहां की हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है।
सरकार ने गंगा व सहायक नदियों को स्वच्छ व अविरल बनाने के लिए नमामि गंगे योजना चलायी हुई है, लेकिन जनपद में गोमती नदी पर सरकार की योजना फेल दिख रही है। सरकार द्वारा गोमती की साफ-सफाई को लेकर काफी दावे किए गए लेकिन वे दावे सरकारी कागजों में ही सिमट कर ही रह गए। नगर स्थित गोपी घाट और हनुमान घाट पर देखा जाय तो काफी काम हुआ है। लोगों को बैठने के लिए सीढ़ियां बनायी गयी है। शाम को जगमग लाइटों से घाट की सुंदरता देखते ही बनती है। इसके बनने के बाद घाट का लुक ही चेंज हो गया। जहां कभी कोई जाता नहीं था, वहां अब घूमने टहलने वालों की भीड़ जुटती है। शाम को तो अलग ही नजारा रहता है लेकिन अब उसी घाट की स्थिति बहुत खराब हो गई है। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण इस घाट पर गंदगी का अंबार लग गया है। घाट की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। लोग मनमाना वहां गंदगी करते हैं और प्लास्टिक की बोतल, खाने के पैकेट उसी नदी में फेंक देते हैं जिससे वहां अब दुर्गंध भी आने लगी है। अब लोग घाटों की सीढ़ियों पर बैठने से कतराते हैं क्योंकि साफ-सफाई न होने के कारण वहां गंदगी लगातार बढ़ती जा रही है। इससे शहर का वातावरण भी खराब हो रहा है। हालांकि जिम्मेदार अधिकारी लगभग रोज ही शाही पुल और सद्भावना पुल से गुजरते हैं लेकिन किसी का ध्यान नगर की इस बड़ी समस्या की ओर नहीं जा रहा है। गोपी घाट पर जब कोई आयोजन होने वाला रहता है तो उसे चमकाने के लिए अधिकारी-कर्मचारी दिन रात एक करके जुट जाते हैं और सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाकर व्यवस्था को दुरूस्त किया जाता है लेकिन आयोजन के बाद फिर घाट पर कूड़े का अंबार लगना शुरू हो जाता है। यही हाल लगभग नगर के हर घाट का है, कहीं पर •ाी कोई साफ-सफाई नहीं है। हर जगह नदी किनारे कूड़े का ढेÞर ही दिखता है।
सुंदरीकरण में करोणों खर्च, फिर भी समस्या जस की तस
सरकार ने नदियों की सफाई के लिए करोणों खर्च किए लेकिन उसके बावजूद भी गोमती नदी में कूड़े का अंबार लगा हुआ है। नालों के पानी को फिल्टर करने का काम भी हो रहा है, ताकि नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके फिर भी गोमती नदी में चारों तरफ गंदगी ही दिख रही है। प्लास्टिक के बोतल और पैकेट नदी किनारे पड़े हुए हैं।
देखरेख के अभाव में बढ़ रही समस्या गोमती नदी में देखरेख के अभाव के कारण गंदगी और बढ़ रही है। नदी में कूड़ा कचरा फेकने वालों पर कोई रोकटोक नहीं है जिसकी वजह से जिसका जो मन करता है नदी में फेंक कर चला जाता है। घाटों की अगर सही देखरेख हो तो नदी में कूड़ा कचरा जमा होने से बचाया जा सकता है।