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Homeअपना जौनपुरसांस्कृतिक बदलाव के अध्ययन के लिए शोध जरूरी : डॉ.माणिक कुमार

सांस्कृतिक बदलाव के अध्ययन के लिए शोध जरूरी : डॉ.माणिक कुमार

  • सहसंबन्ध, रिग्रेशन एनालिसिस पर प्रो.अविनाश ने की चर्चा

जौनपुर धारा, जौनपुर। वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन के संगोष्ठी हाल में शनिवार को दो सप्ताह का कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम में प्रबंध संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो.अविनाश पाथर्डीरकर ने प्रथम सत्र में सहसंबंध, रिग्रेशन एनालिसिस, उसके अपवाद व उपयोगिता पर प्रतिभागियों को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि सहसम्बंध अनुसंधान दो चरों के बीच संबम्ध का एक सांख्यिकीय माप है। इसमें एक शोधकर्ता दो चर को मापता है, किसी भी बाहरी चर के प्रभाव के बिना उनके बीच सांख्यिकीय सम्बंध को समझतें हुये उसका आकलन करता है और यह निर्धारित करता हैं कि वे सहसंबद्ध हैं या नहीं। इसको अमेरिका में हुए आइसक्रीम, अपराध बढ़ोतरी पर हुए उदाहरण के साथ समझाते हुए इसकी व्याहारिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को अलर्ट भी किया। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान प्रयागराज से आये डॉ.माणिक कुमार ने कहा कि समाज-देश-विश्व में हो रहे सामाजिक-आर्थिक सांस्कृतिक बदलाव के अध्ययन के लिए शोध जरूरी है। इसके लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण वार्षिक रिपोर्ट व राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के स्ट्रेटा, एसपीएसएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से बेरोजगारी, रोजगार इत्यादि अवयवों का अवलोकन करना सिखाया। प्राध्यापक-शोधार्थी को इस प्रकार के शोध के जरिए समस्या निवारण का प्रयास कर सकता है। सामाजिक शोध में आने वाली समस्याओं बारे भी डॉ.कुमार ने चर्चा की। इस पर प्रो.अजय प्रताप सिंह, डॉ.मनोज पांडेय, डॉ.जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ.अनु त्यागी, अनुपम आदि ने भाग लिया।

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