2021 टी20 वर्ल्ड कप में जब भारतीय टीम सुपर-12 से ही बाहर हुई थी तो उसके बाद टीम में कई बड़े बदलाव देखने को मिले थे. विराट कोहली की जगह रोहित शर्मा को टीम की कप्तानी सौंपी गई थी और ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि रोहित भारतीय टीम की दशा और दिशा दोनों बदल देंगे. इसके अलावा रवि शास्त्री की जगह राहुल द्रविड़ को टीम का नया हेड कोच भी बनाया गया था. ऐसा माना जा रहा था कि रोहित और राहुल की जोड़ी भारत के लिए काफी सफल होगी लेकिन यह जोड़ी एकदम से फ्लॉप साबित हुई है.
वर्ल्ड कप में नहीं जारी रख सके पुराने पैटर्न : रोहित के कप्तान बनने और द्रविड़ के कोच बनने के बाद टी20 इंटरनेशनल में जो सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला था वह था पावरप्ले में भारतीय बल्लेबाजों का आक्रामक रुख. टी20 वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम ने पावरप्ले में 8.6 रन प्रति ओवर के हिसाब से रन बनाए थे लेकिन वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ऐसा बिल्कुल नहीं कर पाई. वर्ल्ड कप में भारतीय टीम पावरप्ले में केवल 6 रन प्रति ओवर के हिसाब से ही रन बना सकी और इसका उन्हें काफी नुकसान हुआ.
पूरे साल चलता रहा प्रयोग : द्रविड़ के आने के बाद भारतीय टीम में खूब प्रयोग देखने को मिले. यदि टी20 इंटरनेशनल की बात करें तो पिछले 1 साल में लगभग 30 खिलाड़ियों को आजमाया जा चुका है. उमरान मलिक और ऋतुराज गायकवाड जैसे खिलाड़ियों ने भारतीय जर्सी पहनी है. हालांकि इतने बदलाव करने के बावजूद टी20 वर्ल्ड कप के लिए जो टीम चुनी गई वह पिछले साल की टीम से काफी मिलती-जुलती थी. ऐसे में यह समझ में नहीं आया कि पूरे साल इतने प्रयोग क्यों किए गए थे.
टीम सिलेक्शन में भी हुई गड़बड़ी : पिछले साल का वर्ल्ड कप मिस करने वाले युजवेंद्र चहल को इस बार टीम में तो चुना गया लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौका ही नहीं मिला. भले ही रविचंद्रन अश्विन लगातार फीके साबित हुए लेकिन टीम मैनेजमेंट ने चहल को इग्नोर करना ही उचित समझा. मोहम्मद शमी ने पिछले साल के टी20 वर्ल्ड कप के बाद कोई भी टी20 इंटरनेशनल मुकाबला नहीं खेला था लेकिन इसके बावजूद इस साल के वर्ल्ड कप के लिए उन्हें चोटिल जसप्रीत बुमराह की जगह टीम में शामिल कर लिया गया. हर्षल पटेल को टीम का एक्स फैक्टर माना जा रहा था लेकिन उन्हें वर्ल्ड कप में बेंच पर बैठाया गया.