जौनपुर धारा, जौनपुर।महराजगंज क्षेत्र के बीआरसी के बगल आयोजक नन्दलाल मोदनवाल द्वारा नौ दिवसीय श्रीराम कथा का समापन बड़े ही धूमधाम से हुआ। कथा के अंतिम दिन श्रीराम कथा का समापन कथाव्यास स्वामी निर्मल शरण जी महाराज के मुखारविंद से हुआ। कथा व्यास ने कहा कि मन सुख और दुख के बंधन से मुक्त है और मन को वश में करने वाला व्यक्ति महामानव कहा जाता है। उन्होंने कहा कि जैसे भाई का चरित्र लक्ष्मण जैसी सेवा और हनुमान जी जैसी भक्ति अतुलनीय है। यही सभी को अपने चरित्र में उतारना चाहिए। मन और मन को बस में करने वाला मनुष्य महामानव कहा जाता है। भगवान या भगवान के संत के सहारे अपने बुरे संकल्पों विकल्पों को मिटाकर हम अपने मन को ईश्वर की आराधना में लगाते हैं। जिन्होंने मन को वश में किया वह महामानव कहलाया है। ऐसे में हनुमान जैसी भक्ति और लक्ष्मण जैसी सेवा का अनुपम उदाहरण है। हनुमान जी एक जागृत देव है। उनके जैसा भक्त इस धरती पर आज तक कोई दूसरा नहीं हुआ है। इसी प्रकार अपने मन को संपूर्ण रुप से वश में करके लक्ष्मण जी ने भगवान राम और माता सीता की 14 साल तक नींद से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य जीवन के साथ भगवान राम की सेवा किया था। वह अनुपम है। हम सभी को अपने मन को वश में करते हुए स्वास्थ्य एवं सुख दुख की कल्पना से परे होकर स्वयं को समाज के कल्याण और ईश्वर की आराधना में लगाना है। समापन पर राम जी का राजतिलक मंगल गीत आरती हवन व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। साथ ही आयोजक परिवार ने कथा व्यास सहित सम्भ्रांत के लोगों को श्री राम की प्रतिमा अंगवस्त्र देकर अभिनन्दन किया। नंदलाल मोदनवाल ने परिवार के साथ सम्मानित व्यक्ति के साथ पत्रकारों को भी अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ, और राम लला की प्रतिमा देकर सम्मानित किए। कथा का संचालन शुभम काशी ने किया। कथा में बड़ी संख्या में भक्तों ने कथा का आनंद उठाया।
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राजतिलक के साथ हुआ राम कथा का विश्राम

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