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मन की शांति बहुत महत्वपूर्ण है : दलाई लामा

तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो को शनिवार (19 नवंबर) को गांधी-मंडेला फाउंडेशन का शांति पुरस्कार दिया गया. गांधी-मंडेला फाउंडेशन की ओर से दिया गया यह पहला शांति पुरस्कार है.

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कांगड़ा जिले के मैक्लॉडगंज स्थित चुगलाखंग बौद्ध मठ में धर्मगुरु दलाई लामा को गांधी-मंडेला पुरस्कार से सम्मानित किया. दलाई लामा ने इस मौके पर फाउंडेशन के प्रति आभार जताया. तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने कहा कि वह दया, एकता और अहिंसा पर जोर देते हैं और किसी भी समस्या का समाधान युद्ध से नहीं, बल्कि संवाद और शांति से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि करुणा और दया इंसान को शक्ति प्रदान करती है. तिब्बती धर्मगुरु ने यह भी कहा कि मॉडर्न एजुकेशन दिमाग को बल देती है लेकिन व्यक्ति करुणामय होकर शांत मन से कोई विचार करता है तो निर्णय सही होता है. पीस ऑफ माइंड काफी महत्वपूर्ण है.

राज्यपाल आर्लेकर ने यह कहा

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि गांधी और मंडेला के बाद पूरे विश्व में कोई शांतिदूत है तो वह तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा हैं. राज्यपाल ने कहा कि पूरे विश्व में शांति की जरूरत है और हथियार किसी समस्या का हल नहीं हैं.  राज्यपाल आर्लेकर मैक्लॉडगंज में आयोजित किए गए गांधी-मंडेला पुरस्कार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे थे. राज्यपाल ने कहा, ”दलाई लामा को सम्मानित करना और उनका सान्निध्य पाना मेरे के लिए गौरव की बात है. वर्तमान में विश्व को शांति की आवश्यकता है. विश्व शांति के लिए अगर गांधी-मंडेला फाउंडेशन का शांति पुरस्कार इस दौर में दलाई लामा के अलावा किसी और को नहीं दिया जा सकता. दलाई लामा अहिंसा और करुणा का विचार रखते हैं.

धर्मशाला में इसलिए रहते हैं दलाई लामा

बता दें 1959 में चीनी सैनिकों के तिब्बत में घुसने के बाद दलाई लामा को इसकी राजधानी ल्हासा से पलायन करना पड़ा. तब से वह एक निर्वासित आध्यात्मिक गुरु का जीवन जी रहे हैं और तिब्बत की आजादी की लड़ाई शांतिपूर्ण ढंग से लड़ रहे हैं.  दलाई लामा को भारत ने शरण दी है. वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते हैं और यहीं से उन्होंने निर्वासित स्वयंभू तिब्बती सरकार बनाई है, जिसे केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के रूप में जाना जाता है. दलाई लामा लगातार चीन नियंत्रित तिब्बत के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं.

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