जौनपुर धारा, जौनपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार ने जनपद के किसानों को सलाह दी है कि जनपद में खरीफ फसलों में प्रमुख रूप से बोई जाने वाली फसल मक्का तथा अन्य फसलों ज्वार, बाजार, धान आदि में फाल आर्मी वर्म हानि पहुंचाता है जिसकी पहचान एवं लक्षण है कि इस कीट की मादा अधिकतर पत्तियों के निचले हिस्सों या कभी-कभी पत्तियों के ऊपरी सतह या तनों पर अण्डे देती है जो क्रीमिस से हरे या भूरे रंग के होते है। मादा कई परत में अण्डे देने के बाद सफेद झाग से ढ़क देती है। कीट का लार्वा भूरा या धूसर रंग का होता है जिसके पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर एक सफेद रंग का अंग्रेजी शब्द उल्टा वाई दिखता है। शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिन्दु दिखाई देते हैं। मक्का इस कीट की रूचिकर फसल है। यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाता है। यह मक्का के पत्तों के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। कीट का लार्वा मक्का के छोटे पौधों के डण्ठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भेजन प्राप्त करता है। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार की अवस्था में पत्तियों के बाहरी किनारों पर कीट के मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है। इस कीट का मल भूसे के महीन बुरादे जैसा दिखता है। कीट नियंत्रण के उपाय के सम्बन्ध में बताया कि किसान फसल की निगरानी करते हुये बचाव और नियंत्रण कार्य करें। रासायनिक नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी 1.500 लीटर अथवा क्लोरेण्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत ईसी 150 ग्राम अथवा क्लोरपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी 1.250 लीटर मात्रा को पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिये। एनपीवी तथा मेटाराइजियम एनिप्सोली आदि जैविक कीटनाशी रसायनों का समय से प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली है। उपरोक्त के सम्बन्ध में अधिक जानकारी हेतु विकास खण्ड पर कृषि रक्षा इकाई के प्रभारी अथवा जनपद मुख्यालय पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी से सम्पर्क किया जा सकता है।
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मक्का फसल को फाल आर्मी वर्म कीट से बचायें
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