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ब्रिटेन में रह रही बुजुर्ग भारतीय महिला के समर्थन में हजारों

इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स इलाके में रह रहीं एक बुर्जुग सिख महिला को ब्रिटेन की सरकार की ओर से भारत वापस भेजे जाने के खिलाफ ब्रिटेन में व्यापक समर्थन मिल रहा है. यह मामला 2019 में पहली बार सामने आया था. एक ऑनलाइन पेटिशन (इसके जरिए किसी मुद्दे पर लोगों का समर्थन हासिल किया जाता है.) में कहा गया है कि 2009 में गुरमित कौर ब्रिटेन आई थीं और तब से स्मेथविक ही उनका घर है. वह 78 साल की हैं, लेकिन ब्रिटेन की सरकार उन्हें वापस भारत के पंजाब भेजना चाहती है.

जुलाई 2020 से 65 हजार से ज्यादा लोगों ने पेटीशन पर साइन किये हैं. हाल ही में ‘हम सभी गुरमीत कौर हैं’ कैंपेन सोशल मीडिया पर चलाया गया था क्योंकि स्थानीय समुदाय इस विधवा महिला के समर्थन में एकजुट है. ‘चेंज डॉट ओआरजी’ पर इस पेटिशन में कहा गया,”गुरमीत कौर का ब्रिटेन में कोई परिवार नहीं है और न ही उनका पंजाब में कोई परिवार रहता है. इस हालात को देखते हुए स्मेथविक के स्थानीय सिख समुदाय ने उन्हें अपना लिया है. पेटिशन में कहा गया है कि गुरमीत ने ब्रिटेन में बसने के लिए आवेदन किया था, जिसे खारिज कर दिया गया जबकि पंजाब (भारत) में उनका कोई परिवार नहीं है जहां वह लौट सकें. इसमें कहा गया कि गुरमीत बहुत नम्र स्वभाव की महिला हैं. उनके पास कुछ भी नहीं है, लेकिन फिर भी वह काफी उदार हैं. पेटिशन के मुताबिक, उनका ज्यादातर समय स्थानीय गुरुद्वारा में स्वयंसेवी के रूप में काम करते हुए बीतता है. ब्रिटेन के गृह विभाग का कहना है कि गुरमीत कौर अब भी पंजाब में अपने गांव के लोगों के साथ संपर्क में हैं और वह वहां जाकर धीरे-धीरे खुद को उस परिवेश में ढाल लेंगी. गृह विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि विभाग व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी नहीं करता है लेकिन हम सभी आवेदनों पर सबूतों के आधार पर विचार करते हैं. ‘ब्रशस्ट्रोक कम्युनिटी प्रोजेक्ट’ के इमीग्रेशन सलाहकार सलमान मिर्जा ने पेटीशन साइन कैंपे की शुरूआत की थी. वह वीजा अपील प्रोसेस के जरिए गुरमीत कौर की मदद करने वालों में से एक हैं. सलमान मिर्जा ने ब्रितानी समाचार चैनल बीबीसी को बताया कि गुरमीत कौर को जिन चीजों का सामना करना पड़ा है वह यातना की तरह है. साल 2009 में गुरमीत पहली बार एक शादी में शामिल होने के लिए ब्रिटेन आई थीं. शुरुआत में वह अपने बेटे के साथ रह रही थीं, लेकिन परिवार से अलग होने के बाद वह अजनबी लोगों की दया की मोहताज हो गईं हैं. ब्रिटेन में उन्हें स्थानीय सिख समुदाय का बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा है.

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