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Homeअपना जौनपुरपूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा

पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा

जौनपुर धारा,जौनपुर। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में उपर जिला जज चतुर्थ एवं एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश शरद चन्द त्रिपाठी ने बुधवार को बहस सुनने के पश्चात पूर्व सांसद धनंजय सिंह सहित उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को दोषी मानते हुए 07 साल कारावास और 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। न्यायधीश ने अपने फैसले में यह भी कहा कि जुर्माना न जमा करने पर  दो माह और कारावास में रहना होगा। उक्त अवसर पर दीवानी न्यायालय पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील रहा। कई थानो की पुलिस और अधिकारी सुबह दस बजे से दीवानी न्यायालय के चप्पे चप्पे पर तैनात रहें। 05 मार्च 24 को ही इन्हे दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया था।

विदित हो कि 10 मई 2020 को नामामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल द्वारा थाना लाइन बाजार में अपने अपहरण और रंगदारी वसूली का मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने मुकदमें की चार्ज सीट न्यायालय को भेजा था। इसके बाद भी न्यायधीश ने पत्रवली में मौजूद साक्ष्यो का हवाला देते हुए मुकदमे की सुनवाई की। दोषी करार देते समय न्यायधीश ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले का अभियुक्त पूर्व सांसद है और उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसका क्षेत्र में काफी नाम और दबदबा है, जबकि वादी मात्र सामान्य नौकर है। ऐसी स्थिति में वादी का डरकर अपने बयान से मुकर जाना अभियुक्त को कोई लाभ नहीं देता है, जबकि मामले में अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद है। रंगदारी और अपहरण के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह की ओर से अधिवक्ता ने अदालत में दलील दी गई कि उनके ऊपर लगे आरोप निराधार हैं। वादी और उसका गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं। उन्हें रंजिश में गलत तरीके से फंसाया गया है। इसके अलांवा खुद अभियुक्त पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने खुद को निर्दोष होने की बात करते हुए बताया वह एक जन प्रतिनिधि है। इस पर एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश ने तर्क देते हुए कहा कि किसी सांसद या विधायक को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी सरकारी कर्मचारी को फोन करके जबरन अपने घर बुलाए। न्यायधीश ने अपने फैसले के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि इस मामले में वादी प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी था और सत्यप्रकाश यादव उत्तर प्रदेश जल निगम के जेई थे। ऐसे व्यक्तियों को काम के दौरान फोन करके अपने घर बुला लेना या किसी को भेजकर मंगवा लेना अपने आप में अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आता है। धनंजय सिंह को पहली बार किसी अपराधिक मामले में सजा हुई है। इस सजा के आदेश की अपील हाईकोर्ट में होना सम्भव माना जा रहा है। अगर हाईकोर्ट ने एडीजे चतुर्थ शरद चन्द त्रिपाठी के आदेश पर स्थगन आदेश नहीं दिया तो धनंजय सिंह को किसी भी तरह का चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग जाएगा।

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