अति प्राचीन इत्र उद्योग के बाद अगर कन्नौज में कोई चीज बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है तो वह यहां का गट्टा व्यापार है. अलग तरीके से बनाए जाने वाला यह गट्टा लोगों को खूब पसंद आता है. वैवाहिक व अन्य शुभ कार्यक्रमों में इसकी सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. लोग मिठाइयों की जगह इस गट्टे का प्रयोग ज्यादा करते हैं. करीब 100 साल से ज्यादा समय से कलावती गट्टा व्यापार कन्नौज में बहुत प्रसिद्ध है.
गट्टा व्यापारी कुमार वैश्य ने बताया कि 1923 से यह गट्टा कारोबार उनके यहां से किया जा रहा है. हमारे यहां के गट्टे की यह खासियत होती है कि यह पूरी तरह से हाथों से बनाया जाता है. चीनी की बेस से बना यह गट्टा बिल्कुल देसी होता है. यह मुंह में डालते ही घुल जाता है हमारे यहां का सबसे अच्छा गट्टा ₹280 रुपए प्रति किलोग्राम में मिल जाता है. इस गट्टे को बनाने में केवड़ा, इलायची,गुलाब जल के साथ-साथ चॉकलेट और वनीला फ्लेवर की भी खुशबू दी जाती है. इस गट्टे को बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. यह गट्टा पूरी तरह से हाथों से बनाया जाता है सबसे पहले गट्टा बनाने के लिए चीनी की चाशनी बनाई जाती है जिसमें मिठास का विशेष ध्यान रखा जाता है. फिर उसी चासनी को एक बड़े से बर्तन में डाल दिया जाता है. थोड़ा सूखने के बाद चासनी एक पट्टी का रूप ले लेती है. इस पट्टी को हाथों से फिटाई की जाती है जिसमें काफी कड़ी मेहनत लगती है. जिसके बाद यह पट्टी एक बड़े से रोल में बना ली जाती है और एक कटे नुमा चीज से बड़ी ही बारीकी से इस गट्टे को काटा जाता है. गट्टे को काटने के बाद एक बड़े से बर्तन में बहुत सारी ड्राई फ्रूट्स डाल दिए जाते है जिसके ऊपर इसको लगाया जाता है.