जौनपुर धारा,शाहगंज। संस्कार भारती द्वारा हनुमानगढ़ी स्थित लक्ष्मी नारायण वाटिका में आयोजित हो रहा साप्ताहिक श्रीराम कथा समापन के उपरांत शनिवार रात भव्य नव वर्ष महोत्सव आयोजित हुआ। अतिथियों द्वारा शंखनाद के बीच दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम शुभारम्भ कराया। मुख्य अतिथि आरएसएस क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख पूर्वी उत्तर प्रदेश मिथलेश जी रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि कथा व्यास दुर्ग विजय मिश्र एवं अध्यक्षता नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि विरेन्द्र सिंह बंटी ने किया। गणेश वंदना रुचि अग्रहरि, बाल योगी करण पार्थ, अस्मित सेठ ने प्रस्तुत किया। शंखनाद आनन्द प्रेमी ने किया। आभार अध्यक्ष कृष्णकान्त सोनी, महामंत्री वीरेंद्र यादव वीरु ने व्यक्त किया। संचालन भुवनेश्वर मोदनवाल ने किया। महोत्सव में राष्ट्रीय कलाकार सूरज महादेव एवम् समूह प्रतापगढ़ व अंतर्राष्ट्रीय कलाकार मनीष शर्मा विंध्याचल अपनी कला से सभी का मन मोह लिया। उदयन अकेडमी के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसी क्रम में राष्ट्रीय कलाकार सूरज महादेव समूह प्रतापगढ़, सुमित काली मां प्रतापगढ़, अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार महेश्वर साधना ललित कला प्रशिक्षण केंद्र विंध्याचल ने अपनी मनमोहक प्रतुति की। मुख्य अतिथि क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख मिथलेश ने कहा कि परिवार में संस्कार को बनाए व बचाए रखना ही संस्कार भारती का उद्देश्य हैं। संस्था उद्देश्य में सफल हो रहा हैं। कला एवं साहित्य के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती अपने उद्देश्य कहां जा रही नई पीढ़ी। कैसा होगा कल का भारत, कैसे बचेगी कला और संस्कृति, इन्ही प्रश्नों के प्रत्युत्तर हेतु संस्कार भारती प्रयासरत हैं। भारतीय सभ्यता संस्कार कला को अपने अंदर आत्मसाध करें। फूहड़ता के माहौल से अपने परिवार को बचाए। आप के परिवार के सदस्यों के अंदर संस्कार परिवार के रिश्ते को मजबूत करता हैं। अध्यक्षता कर रहे नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि वीरेंद्र सिंह बंटी ने कहा कि संस्कार भारती कला और संस्कृति को समर्पित हैं। संस्कृति, मन और आत्मीयता का विस्तार संस्कार से होता है। अपनी संस्कृति को सजोये रखें। इस दौरान प्रधान सुभाष चंद्र यादव चंदू, रचित चौरसिया, सुनील अग्रहरि टप्पू, शीम प्रकाश अग्रहरि सिम्पू, अमलेन्द्र गुप्ता, ममता गुप्ता, दीपक सिंह, अनुपमा अग्रहरि, मनोज अग्रहरि, संदीप जायसवाल, राम अवतार अग्रहरी, सीमा जायसवाल आदि मौजूद रहे।
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परिवारिक संस्कार बनाए व बचाए रखना ही संस्कार भारती का उद्देश्य : मिथलेश
