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चौबीस घंटे में 23 सेंमी बढ़ा घाघरा का जलस्तर

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नेपाल में हुए संसदीय चुनावों के वोटों की गिनती जारी

नेपाल में हुए संसदीय चुनावों के वोटों की गिनती जारी है. 275 सीटों में से 162 सीटों का रिजल्ट जारी कर दिया गया है जिसमें सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी नेपाली कांग्रेस ने अगली सरकार बनाने के लिए अन्य राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है. सत्तारूढ़ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार को यह जानकारी दी. संसद के 275 सदस्यों में से 165 प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से चुने जाएंगे, जबकि शेष 110 आनुपातिक चुनाव प्रणाली के माध्यम से चुने जाएंगे.  सीपीएन-माओवादी सेंटर को 17, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट को 10, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को चार और राष्ट्रीय जनमोर्चा को एक सीट मिली है. विपक्षी यूएमएल के दो सहयोगी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी ने सात-सात सीट हासिल की हैं. नेपाली कांग्रेस (एनसी) ने अब तक प्रतिनिधि सभा के सीधे चुनाव के तहत 55 सीट जीती हैं जबकि विपक्षी सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है. अब तक 162 सीटों के चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं. बहुमत की सरकार बनाने के लिए एक पार्टी को कम से कम 138 सीटों की जरूरत होती है. एनसी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पार्टी ने अगली सरकार बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श तेज कर दिया है. सिंह ने कहा कि सभी सीटों के नतीजे आने के बाद और आनुपातिक मतदान प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाने वाली सीटों का निर्धारण होने के बाद पार्टी अपने संसदीय दल के नेता का चुनाव करेगी. बता दें कि नेपाली कांग्रेस में छह नेताओं ने नेपाल के अगले प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा व्यक्त की है. सिंह (66) उन नेताओं में शामिल हैं जो अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने एक बार फिर अपनी सीट बचा ली है. पिछले पांच दशक से ऐसा कोई प्रतिद्वंद्वी सामने नहीं आ पाया है जो देउबा  को हरा सके. इसी तरह केपी ओली ने भी बड़ी जीत दर्ज की है. जबकि उनके विरोधी खगेंद्र अधिकारी को पराजय झेलनी पड़ी है. नेपाल के 1 करोड़ 80 लाख से ज्यादा वोटरों ने इस बार नई सरकार चुनने के लिए वोटिंग की है. साल 2015 के बाद से नेपाल में ये दूसरा मौका है जब संसदीय चुनाव हो रहे हैं. लेकिन अभी के लिए किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा.

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