जौनपुर धारा, खुटहन। रुस्तमपुर गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में प्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पंडित वायुनंदन महाराज ने कहा कि जब जब पृथ्वी पर आसुरी शक्तियों का अत्याचार बढ़ा है उनके द्वारा साधु संतों और धर्म को हानि पहुंचाई गई है, तब तब प्रभु अलग अलग स्वरूपों में अवतरित होकर अधर्मियों का जड़ मूल से नाश तथा धर्म की स्थापना की है। महराज ने कहा कि समय और परिस्थितियों के अनुसार मानवीय सोच और उनके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता रहता है। जो व्यक्ति हर परिस्थिति में समभाव रखता हो वही ईश्वर का सच्चा भक्त है। हमें छोटी मोटी सफलताओं से अहम और हमने यह कर लिया ऐसा वहम मन से निकाल देना चाहिए। पूरे संसार को चलायमान करने वाला एक मात्र महा शक्तिशाली ईश्वर ही है। उसी के इशारे पर ही संसार की सारी गतिविधियां संचालित होती है। इसलिए मानव को अहंकार और निराशा दोनों नहीं करनी चाहिए। इस मौके पर हरी प्रसाद मिश्र, दुर्गावती देवी, ओम प्रकाश मिश्र, जमुना प्रसाद, बब्बन मिश्र, तीर्थराज मिश्र, अमरदेव मिश्र, हरिकृष पाण्डेय आदि मौजूद रहे। आयोजक पूर्व प्रवक्ता ज्ञानेंद्र मिश्र ने आगतों का स्वागत व आभार प्रकट किया।
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धर्म की रक्षा के लिए प्रभु लेते हैं अवतार -पंडित वायुनंदन महराज

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