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Homeदेशदेवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सावरकर को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणी का जवाब देते हुए पत्र और वीडियो क्लिप ट्विटर के जरिए शेयर किया है और टिप्पणी की है. फडणवीस ने कहा कि महात्मा गांधी ने भी सावरकर की तरह ही साइन ऑफ का इस्तेमाल किया था. फडणवीस का दावा है कि ये चिटि्ठयां महात्मा गांधी ने अंग्रेज अफसरों लॉर्ड चेम्सफोर्ड और ड्यूक ऑफ कनॉट को भेजी थीं. इनमें से एक की आखिरी लाइन में लिखा है- योर एक्सिलेंस ओबीडिएंट सर्वेंट एमके गांधी. दूसरी चिट्‌ठी के आखिरी में लिखा है- योर रॉयल हाइनेस फेथफुल सर्वेंट एमके गांधी.

देवेंद्र फडणवीस ने इन चिट्ठियों का हवाला देते हुए लिखा, “राहुल जी, कल आपने मुझे [वीडी सावरकर द्वारा] एक पत्र की अंतिम पंक्तियां पढ़ने के लिए कहा था.” भाजपा नेता ने कहा, “क्या आपने हमारे आदरणीय महात्मा गांधी का यह पत्र पढ़ा है? क्या इसमें वही अंतिम पंक्तियां हैं जो आप चाहते थे कि मुझे पढ़नी चाहिए?”

बता दें कि वीडी सावरकर का पत्र जहां एक दया याचिका थी, वहीं महात्मा गांधी के 1920 के पत्र में, जिसका एक हिस्सा फडणवीस ने साझा किया था, अंग्रेजों को असहयोग आंदोलन के वैध रूप के बारे में बता रहे थे. विशिष्ट वाक्यांशों का उल्लेख करते हुए, फडणवीस ने “1980 का एक पत्र” भी साझा किया, जिसमें पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, राहुल गांधी की दादी, ने वीडी सावरकर को “स्वतंत्रता आंदोलन का स्तंभ” और “भारत का उल्लेखनीय पुत्र” कहा था. देवेंद्र फडणवीस ने इंदिरा गांधी का एक पत्र भी शेयर किया. फडणवीस ने लिखा, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (आपकी दादी) ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी के बारे में क्या कहा था, वो भी जरा पढ़ लीजिए. वे वीर सावरकर को स्वतंत्रता आंदोलन का आधारस्तंभ और भारत का सदा याद रहने वाला सपूत कहती हैं.

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में वीर सावरकर पर की थी टिप्पणी

राहुल गांधी ने गुरुवार को महाराष्ट्र के वाशिम जिले में रैली की थी, जिसमें बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासियों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि बिरसा मुंडा 24 साल की आयु में शहीद हो गए थे. अंग्रेज़ों ने उन्हें जमीन देने की कोशिश की, धन देने की कोशिश की, उन्हें खरीदने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सब नकार दिया. दूसरी तरफ बीजेपी, RSS हैं. सावरकर को दो-तीन साल अंडमान में बंद कर दिया तो उन्होंने चिट्ठी लिखनी शुरू कर दी कि हमें माफ़ कर दो, जो भी हमसे चाहते हो ले लो. बस मुझे जेल से निकाल दो.

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