- रहमतों और बरकतों का महीना शुरू, इबादतों में जुटे लोग
- बाजारों में दिखी चहल-पहल, सहरी-अफ्तार के सामानों की हुई खरीदारी
जौनपुर धारा, जौनपुर। रमजान शुरू होते ही बाजार में खासी रौनक देखी जा रही है, तैयारियां जोरों पर हैं। लोग सेहरी और अफ्तार की सामग्री की खरीदारी में जुटे हैं। खजूर, बेसन, रिफाइंड तेल, पापड़, चना-मटर, रूह अफजा और ब्रेड-खारी टोस्ट की खरीदारी विशेष रूप से की जा रही है। फल, फ्रूट की दुकानों पर •ाी •ाीड़ देखी गई। हालांकि मस्जिदों की रंगाई-पुताई का काम पहले ही मुकम्मल कर लिया गया था। रमजान को रहमतों का महीना कहा जाता है। इस दौरान अल्लाह अपने बंदों के लिए रहमतों के दरवाजे खोल देते हैं, और एक नेकी का सवाब कई गुना बढ़ाकर मिलता है।
रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग तीस दिनों तक रोजे रखते हैं। इस दौरान वे अल्लाह से रहमत, इबादत और मगफिरत की दुआएं मांगते हैं। त्योहार की आमद से लोगों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। जिले में रमजान की तैयारियां पूरी हो गई हैं। रविवार को पहला रोजा रखा रखा गया जिसकी वजह से लोगों में उत्साह देखने को मिला। रात में तरावीह की नमाज पढ़ी गई। इस दौरान देखा गया कि मस्जिदें एकदम फुल हो गई थी। नमाज जब खत्म हुई तो बड़ी संख्या में लोग मस्जिदों से निकलते हुए दिखाई दिये। छोटे-छोटे बच्चों ने भी तरावीह की नमाज पढ़ी। बच्चों में भी रमजान के महीने को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। रमजान में अल्लाह अपनी नेमतों के दरवाजे खोल देता है। इस माह में अपने गुनाहों से तौबा करनी चाहिए और जयादा से ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में गुजारना चाहिए। घरों में लोगों में रमजान को लेकर खासा उत्साह है। रमजान का महीना इसलिए खास है कि लोगों को दिन •ार •ाूखा-प्यासा रहकर यह एहसास होता है कि आम दिनों में गरीब आदमी कैसे •ाूखा-प्यासा रहता होगा। जिससे लोग इस महीने में ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करते हैं जिसका उन्हें अल्लाह की तरफ से सवाब मिलता है। रमजान के महीने में अल्लाह रोजेदारों को हिम्मत देते हैं। हम लोगों को नबियों और साहाबियों की जिंदगी से सीख लेनी चाहिए कि वह जंग के मैदान में रहकर •ाी रोजे नहीं छोड़ते थे।
सब्र का महीना है रमजान
रमजान सब्र का महीना है, सब्र का बदला अल्लाह देता है। 57-58घण्टे तक •ाूखा, प्यासा रहकर रोजेदार सब्र करता है। इसलिए अल्लाह उसे रोजा रखने की हिम्मत देते हैं। मेहनत और मजदूरी करने वाले •ाी रोजा रखते हैं। रमजान का महीना अल्लाह की खास रहमत पाने का सुनहरा मौका होता है। जिसने रमजान के रोजे रखे और इबादत की तो उसे अल्लाह सवाब देता है। रोजे के जरिए हमें लोगों की •ाूख और प्यास का अहसास होता है। इसलिए हमें गरीबों पर रहम दिखाना चाहिए। उनकी मदद करना चाहिए। अपने आसपास ध्यान रखना चाहिए कि पैसे की तंगी की वजह से कोई रोजदार •ाूखा न रह जाए।
सिर्फ भूखे –प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं
रोजा सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का ही नाम नहीं है बल्कि रोजे की हालत में चोरी, बेइमानी, झूठ सहित अन्य गलत कामों से बचना चाहिए ताकि रोजा रखने का पूरा सवाब मिले। अगर रोजा रखकर भी गलत काम जारी रहे तो दिन भर भूखे-प्यासे रहने का कोई मतलब नहीं है। इस महीने में हर नेक काम पर सवाब बढ़ा दिया जाता है, इसलिए सभी लोग ज्यादा से ज्यादा इबादत कर अल्लाह को राजी करने की कोशिश करते हैं।